कुछ ऐसा था मेरा पहली बार वैष्णो देवी यात्रा का अनुभव

जब आप किसी जगह पर पहली बार जाते हैं उसकी यादें कुछ अलग होती हैं। अगर वो जगह आपके सपनों से मिलती हो तो बात ही क्या है। कुछ ऐसा था मेरा पहली बार वैष्णो देवी यात्रा का अनुभव।

vaishno devi trip experience

जब कोई पहली बार किसी जगह पर जाता है तो उसकी यादें कुछ ख़ास होती हैं। यादों को संजोना और उन्हें अपने जीवन से जोड़ना भला किसे अच्छा नहीं लगता है। मेरी भी काफी समय से एक ख्वाहिश थी कि वैष्णो देवी की यात्रा पर जाऊं।

अपनी मां और नानी के मुंह से कई बार सुना था कि इस यात्रा का अनुभव कुछ अलग ही होता है। यूं समझिए कि कुछ समय के लिए आप भक्ति में सराबोर हो जाते हैं और 'प्रेम से बोलो जय माता दी' के जयकारे की गूंजमें डूब जाते हैं।

तभी से सोचती थी कि जल्दी ही मुझे भी मौका मिले माता के धाम जाने का, लेकिन कभी पढ़ाई, तो कभी बोर्ड एग्जाम की तैयारियों ने मौका ही नहीं दिया इस सपने को सच करने का।

हाल ही में जब मेरे बोर्ड एग्जाम ख़त्म हुए तो मैंने अपनी मां को अपनी ये इच्छा बताई। फिर देर क्या थी मां ने मेरे और कुछ करीबी रिश्तेदारों के साथ इस यात्रा का प्लान बना लिया।

मेरा नाम वंशिका सिन्हा है और मैं घूमने और फोटो क्लिक करने की शौक़ीन हूं। हालांकि काफी समय से पढ़ाई में उलझी हुई थी, लेकिन हाल ही में मैंने पहली बार वैष्णो देवी की यात्रा की और उसके कुछ पल आपके साथ शेयर कर रही हूं।

मैंने कब शुरू की वैष्णो देवी की यात्रा

हाल ही में मम्मी के ऑफिस में लांग वीकेंड की गुड फ्राइडेकीछुट्टी थीहमने गुरुवार की रात कैब बुक की और निकल पड़े माता के दर्शन के लिए। हम सब कुल मिलाकर 6 लोग थे और इनोवा गाड़ी थी।

रास्ते में हम सभी गाते और आपस में मस्ती करते हुए जा रहे थे। बीच-बीच में ढाबे का स्वादिष्ट खाना और गरमा-गरम चाय का मजा भला क्यों न लेते, अपनी इस यात्रा पूरा आनंद उठाते हुए हमने दिल्ली से कटरा तक का सफर लगभग 12-13 घंटों में पूरा किया।

हालांकि, आप ये सफर इससे थोड़े कम समय में भी तय कर सकते हैं। लेकिन हमें फैमिली टाइम भी एन्जॉय करना था तो हम रात के 10 बजे घर से निकलकर अगले दिन की सुबह लगभग 11 बजे कटरा पहुंचे।

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कटरा से वैष्णो देवी मंदिर तक का सफर

कटरा पहुंचकर मेरे में में वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन का उत्साह और ज्यादा बढ़ गया था क्योंकि माता का मंदिर दूर पहाड़ियों के बीच नजर आ रहा था। मंदिर को देखकर ऐसा लगा कि मानो मैंने एक साथ कितने सपने पूरे कर लिए।

एक तो फैमिली के साथ इतना अच्छा समय बिताने का और दूसरा वैष्णो माता के दर्शन का। फिर क्या था हम सभी ने अपना सामान कटरा के एक होटल में रखा और फ्रेश होकर मंदिर दर्शन की पर्ची कटाई। हम सभी माता रानी के जयकारे लगाते हुए निकल पड़े माता के मंदिर की चढ़ाई के लिए। हमने मंदिर पहुंचने के लिए नए रास्ते को चुना और यात्रा शुरू की।

रास्ते में हमने स्वादिष्ट खाने का लिया मजा

नए रस्ते की सबसे ख़ास बात ये है कि इसमें खाने-पीने के लिए बहुत से आउटलेट्स मौजूद थे। इस रास्ते में मैक डी और बीकानरेवाला जैसे खाने के आउटलेट्स भी थे, भला हम यहां के खाने का मजा उठाने से पीछे कैसे रह सकते थे। हमने यात्रा के बीच में खाने और कॉफ़ी का भी पूरा मजा उठाया। चढ़ाई करते समय मौसम भी ठंडा था, तो कॉफी और चाय का मजा ही कुछ अलग था।

जब पूरा हुआ मंदिर दर्शन का सपना

लगभग 7-8 घंटे की चढ़ाई करने के बाद हम वैष्णो देवी के भवन पर पहुंच गए। माता के दर्शन के लिए लंबी लाइन थी और हम भी उस लाइन में लगकर अपनी बारी का इन्तजार करने लगे। जल्दी ही इन्तजार के पल ख़त्म हुए और हम पहुंच गए वैष्णो देवी के मुख्य द्वार पर।

वैष्णो माता मंदिर पर पहुंचकर हमने माता के दर्शन किए और अपने सपने को पूरा होते हुए देखकर मैं भावविभोर हो उठी। उस दिन मुझे अपनी मां और नानी के मुंह से सुनी हुई वो सारी बातें याद आने लगीं जो मैं वैष्णो माता धाम के बारे में बचपन से सुनती आ रही थी। वास्तव में आपका कोई बड़ा सपना पूरा आपको भावुक कर देता है और मंदिर दर्शन के समय मेरी आँखें भी ख़ुशी से भर गईं।

ये था मेरा पहली बार वैष्णो देवी यात्रा करने का अनुभव। उम्मीद है आपको ये अच्छा लगा होगा, वास्तव में आप भी जब भी समय मिले सभी चिंताओं को दूर करके किसी धार्मिक स्थल की यात्रा पर जरूर जाएं।

लेखिका- वंशिका सिन्हा एक कॉमर्स स्टूडेंट हैं। हाल ही में उन्होंने बारहवीं की परीक्षा दी है और अब स्नातक की तैयारी कर रही हैं। वंशिका को खाली समय में घूमने का शौक है और फोटो क्लिक करना उनकी हॉबी है।

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