होली के रंग मजहब, जाति, समाज की सभी दीवारों को मिटाते हुए एक-दूसरे के साथ घुल-मिलकर रहने का संदेश देते हैं। होली का त्योहार नजदीक आते ही हर तरफ जश्न का माहौल नजर आता है। होली मन में आने वाली सारी नेगेटिविटी, वीकनेसेस को दूर करते हुए हर किसी को एक-दूसरे के करीब ला देती है। महिलाएं होली के बहाने एक-दूसरे को तिलक और रंग लगाकर गले मिलती हैं। यह त्योहार ऐसा है कि इसमें कोई भी व्यक्ति अकेला महसूस नहीं करता। अनजान लोगों को भी रंगों में सराबोर कर लोग अपने जैसा बना लेते हैं। देश का कोई भी हिस्सा हो, हर जगह होली का जश्न पूरी धूमधाम से मनाया जाता है।
त्योहार है एक, मनाने के तरीके अनेक
होली पूरे देश में होली अलग-अलग तरीके से मनाई जाती है और ये सभी तरीके काफी दिलचस्प हैं। मथुरा और वृंदावन की होली से लेकर बनारस की भस्म होली तक हर तरह की होली का ऐतिहासिक महत्व है और इन्हें पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है।
ऐसे मनाई जाती है राधा-कृष्ण और गोपियों की होली
उत्तर प्रदेश में होली जमकर खेली जाती है और इसका एक अनूठा रूप है लठमार होली, जो वास्तविक होली के कई दिन पहले से ही खेली जानी शुरू हो जाती है। उत्तर प्रदेश में होली जमकर खेली जाती है और इसका एक अनूठा रूप है लठमार होली, जो वास्तविक होली के कई दिन पहले से ही खेली जानी शुरू हो जाती है। यह होली उत्तर प्रदेश के बरसाना और नंदगांव में खेली जाती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। माना जाता है भगवान कृष्ण जब अपनी प्रेमिका राधा से मिलने बरसाना जाते हैं। वहां कृष्ण जी ने राधा के साथ-साथ उनकी सहेलियों के संग भी होली खेलते हैं और इसी दौरान वहां की सारी गोपियां उन पर लाठियां बरसाती हैं। जिस तरह कृष्ण राधा और गोपियों के साथ होली खेलते हैं, कुछ उसी अंदाज में यहां लठमार होली पूरे उत्साह के साथ खेली जाती है। महिलाएं हर तरफ से पुरुषों पर डंडे बरसाती हैं। वहीं इन गोपियों के डंडों के वार से खुद को बचाने के लिए पुरुष ढालों का सहारा लेते हैं। यहां के पुरुषों को हुरियारे और महिलाओं को हुरियारन का नाम दिया जाता है। लाठियों की बरसात होने के बाद पुरुष और महिलाएं यहां रंगों का उत्सव मिलकर मनाते है।