हर वर्किंग महिला को इस बात का डर सताता है, कि जब वह गर्भ धारण करेगी तो उसे छुट्टियां कैसे मिलेंगी और छुट्टी से लौटने के बाद कहीं उसकी नौकरी या ऑफिस में उसी पोजीशन को कोई आंच तो नहीं आएगी। महिलाओं के इन्हीं सवालों का जवाब दे रही हैं लॉयर आशिमा।
Updated:- 2018-10-22, 17:38 IST
मां बनना हम महिला के लिए खुशी और गर्व की बात होती है। हर महिला इस दिन का इंतजार करती है किए उसे भी मां कहने वाला कोई इस दुनिया में आए। मगर, जो महिलाएं वर्किंग होती हैं उनको मां बनने की खुशी तो होती है मगर साथ ही नौकरी पर असर पड़ने का डर भी उन्हें सताता रहता है। मगर, कानून ने महिलाओं को गर्भधारण के समय मैटरनिटी लीव्स लेने की सुविधा दी है। मगर, बहुत सी महिलाएं इस बारे में जानती तो हैं मगर, इन्हें इस्तेमाल कैसे करना है इस बारे में उन्हें बहुत कम जानकारी होती है। अगर आप गर्भवति हैं तो आप यह वीडियो जरूर देखिए क्योंकि इस वीडियो में लॉयल आशिमा मैटरनिटी बेनिफिट्स के बारे में विस्तार से जानकारी दे रही हैं।
भारतीय कानून के हिसाब से प्रेग्नेंट महिलाओं को 26 हफ्तों की छुट्टी मिलती है। 26 हफ्तों की छुट्टी कुछ 6 महीने की होती है और कानून में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि प्रेग्नेंट महिला अपनी डिलीवरी के 8 हफ्ते पहले यह छुट्टियां ले सकती हैं और बची हुई छुट्टियों को या पूरे 26 हफ्तों की लीव्स को एक साथ डिलिवरी के बाद भी ले सकती हैं। मैटरनिटी लीव्स के दौरान महिलाओं की सारी छुट्टियां पेड होती हैं और हर महीने सैलरी डे पर उन्हें दी जाती है।
कनून में ऐसा कोई जिक्र नहीं मिलता कि महिलाएं किसी ऑफिस में निश्चित समय बिता लेने के बाद ही मैटरनिटी लीव्स की हकदार होती हैं। हां, कंपनी में महिला का परमानेंट होना जरूरी होता है। इसलिए एक कंपनी में 4 महीने या फिर 6 महीने बिता लेने के बाद महिला गर्भधारण कर सकती है और पूरी तरह से मैटरनिटी बेनिफिट्स पाने की हकदार बन जाती हैं।
कानून कोई भी महिला केवल 26 दिन की मैटरनिटी लीव्ज ही ले सकती है मगर, कंपनी चाहे तो खुद से महिला को जरूरत पड़ने पर उसकी मैटरनिटी लीव्ज को बढ़ा सकती है। मगर,यह पूरी तरह से कंपनी पर निर्भर करता है।
अगर कंपनी में वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दी जाती है और आपका प्रोफाइल ऐसा है कि आप घर बैठ कर काम कर सकती हैं तो कंपनी को आपको यह सुविधा जरूर देनी चाहिए। अगर, अपका प्रोफाइल ऐसा नहीं है और आप ऑफिस आकर ही काम कर सकती हैं तो इस केस में वर्क फ्रॉम होम कि सुविधा आपको नहीं मिल सकती हैं।
ऐसा किया जा सकता है मगर, जब आपका ऑफिस आपको इसकी अनुमति देता है तो। अगर आपके पास कैजुअल लीव्स या अर्न लीव्ज बची हुई हैं और आप इसे अपनी मैटरनिटी लीव्ज के साथ एड कराना चाहती हैं, तो आपको इसके लिए अपने ऑफिस में एचआर से बात करनी होगी। वह चाहे तो ऐसा कर सकता है और आपकी छुट्टियां इस तरह कुछ दिन और बढ़ सकती हैं।
ऐसा बिलकुल नहीं होता है और अगर कोई कंपनी ऐसा करती हैं तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। मैटरनिटी बेनिफिट्स लेना हर महिला का हक होता है। इससे उसकी प्रोफाइल पर कोई असर नहीं पड़ता। हां, आप जिस पोजीशन पर छुट्टियां लेने से पहले होती हैं आपकी री-जॉवइनिंग भी उसी पर होती हैं।
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