ये कहानी है उस शहर की जिसमें इंसानों का उड़ना, उनका जादू करना और सुपर पावर्स होना आम है। ये कहानी है उस एक लड़के की जिसने ऐसा काम कर दिखाया जिसके बारे में सोचा भी नहीं जा सकता था। वैसे इस कहानी को अली बाबा चालीस चोर जैसी ना समझें। ये मॉर्डन दुनिया है जनाब जहां फोन भी है और कम्प्यूटर भी। बस इस कहानी में थोड़ा सा जादू भी है। आपकी कल्पना से परे ये कहानी आपको एक ऐसी दुनिया में ले जाएगी जहां शायद आप अपने सपनों में गए हों।
सपने देखने वाला एक ऐसा ही लड़का था हरविंदर उर्फ हैरी, पॉटर नहीं... हैरी सिंह। एक ही चीज थी जिसे हरविंदर चाहता था कोई ऐसी सुपरपावर जिससे वह दब्बू हरविंदर से सुपरकूल हैरी बन जाए। हरविंदर के साथ दिक्कत यह थी कि वो बचपन से लेकर आज तक सिर्फ लाइब्रेरी, घर और कॉलेज के एक पेड़ के नीचे ही मिलता था। हरविंदर को किस्से कहानियों का शौक था जहां एक इंसान उड़े, दीवार के आर-पार जाए या फिर आत्माओं से बातें करे, कोई फर्क नहीं पड़ता। अक्सर कॉलेज की लाइब्रेरी में बैठा हरविंदर ऐसी ही फैंटेसी कहानियां पढ़ता रहता था।
हैरी हमेशा अपने घर पर देर से पहुंचने का एक ही बहाना बनाता था, लाइब्रेरी में बैठा पढ़ रहा था, लेकिन असल में वो क्या पढ़ता था यह उसकी मां ने कभी पूछा नहीं और ना ही उसके बारे में कुछ कहा। घर में मां, पापा, चाचा जी, छोटी बहन, बुआ, दादा जी तो थे ही, लेकिन आस-पास का कोई रिश्तेदार हमेशा घर में टिका रहता था। पंजाबी परिवार और मेहमान ना आएं, ऐसा तो हो ही नहीं सकता है। इसलिए ही तो हैरी को हमेशा घर में भीड़ ही लगती थी। घर वालों को परवाह नहीं थी कि हैरी पढ़े या नहीं क्योंकि घर का एकलौता बेटा, खेती-बाड़ी ही देखेगा। उसके लिए एक भविष्य तय था। पर हैरी तो अलग था ना, उसे तो कुछ और ही बनना था।
हैरी की किताबों में इतनी दिलचस्पी थी कि वह एंटीक किताबों की खोज में कई बार शहर के किसी कोने में किसी धूल खाती हुई लाइब्रेरी तक चला जाता था। ऐसी ही एक शाम थी जहां उसे कॉलेज के लाइब्रेरियन ने बताया था कि शहर की एक ऐसी लाइब्रेरी भी है जहां 500 साल पुरानी किताबें भी मिल जाएंगी। यही वो जगह थी जहां राजा-महाराजा के इतिहास से जुड़ी किताबें भी मिल जाती थीं। हैरी बिना सोचे समझे उसी ओर चल दिया। दिन ढलने लगा था और वह उस लाइब्रेरी के बारे में पूछताछ करता हुआ एक ऐसी इमारत में पहुंचा जिसे देखकर लग रहा था कि इसे अभी तक गिराया क्यों नहीं गया।
एक टूटी हुई खिड़की, एक धूल भरा दरवाजा, पुराने शहर की पुरानी इमारत। ऐसा लग रहा था मानो पिछले 100 सालों से इस इमारत की तरफ किसी ने देखा भी ना हो। ऊपर एक धूल भरा बोर्ड था जिसमें लिखा था, पुस्तकालय। हैरी को थोड़ा अजीब तो लग रहा था, लेकिन फिर भी वो अंदर घुस गया। अंदर जाते ही उसे लगा जैसे गलत जगह आ गया है। एक आंगन और सामने एक हरा सा दरवाजा जिसपर धूल की एक मोटी परत जम गई है। हैरी को कुछ नहीं पता था कि अब क्या होने वाला है पर फिर भी उसने एक बार दरवाजे पर दस्तक दे ही दी।
अंदर से आवाज आई, 'आ जाओ...', जैसे ही हैरी ने दरवाजा खोला उसे लगा कि वह इतिहास में आ गया हो। कमरे में दीवारों की जगह सिर्फ किताबें ही दिख रही थीं। ना जाने कितनी पुरानी किताबें थीं ये, एकदम मोटी-मोटी किताबें जिनमें से कई में धूल जम चुकी है। हैरी को लगा मानो उसे कोई खजाना मिल गया हो। वह अंदर जा रहा था और ऐसा लग रहा था कि इस कमरे का कोई अंत ही ना हो। वह भूल ही गया था कि किसी ने उसे अंदर आने को कहा था। अभी तक हैरी की हिम्मत नहीं हो पाई थी कोई और किताब उठाने की। वह एक किताब की ओर बढ़ा और उसे उठाने जा ही रहा था कि किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया।
हड़बड़ाहट में हैरी पीछे मुड़ा और लड़खड़ा कर गिर गया। एक बूढ़ा आदमी, दाढ़ी बढ़ी हुई, शॉल लपेटे हुए अपने चश्मे को सीधा कर रहा था। हैरी उसे देखकर एकदम डर गया। उसे पता भी नहीं था कि क्या कहना है, 'वो मैं तो बस किताबें देखने आ गया था.. किसी ने कहा था कि यहां लाइब्रेरी है।', हैरी ने जवाब दिया। हैरी की आवाज डरी हुई थी, लेकिन उस बूढ़े व्यक्ति ने कोई रिस्पॉन्स ही नहीं दिया। उसने बस 'हूं' कहकर अपना रास्ता बदल लिया।
हैरी को लगा जैसे किसी ने उसे चोरी करते पकड़ लिया हो, लेकिन किताबों का लालच कुछ और ही था।
हैरी ने अपने हाथों में किताबों का पुलिंदा ले लिया था। इतनी पुरानी किताबें, दादी-नानी की कहानियों सी सजी हुई किताबें। हैरी अपनी ही दुनिया में खोया हुआ था कि अचानक उसकी नजर एक ऐसी किताब पर पड़ी जो दूर एक कोने में पड़ी हुई थी। बाकी किताबों की तरह उसमें धूल नहीं जमी थी, उसे देखकर लग रहा था मानो सालों पुरानी हो, लेकिन फिर भी चमकदार दिख रही थी। बहुत मोटी नहीं थी ये किताब, लेकिन पन्ने बहुत पुराने। हैरी के हाथों में कई किताबें थीं, लेकिन फिर भी वह उस किताब की ओर बढ़ चला।
हैरी ने उस किताब को उठाया, तो पीछे से वह बूढ़ा आदमी फिर आ गया। 'ये किताब मत खोलना, खोल लिया, तो अपने साथ लेकर जाना पड़ेगा।' उसने कहा। हैरी थोड़ा शॉक था क्योंकि ऐसी कोई शर्त इसके पहले किसी लाइब्रेरी वाले ने रखी नहीं थी। 'तो मैं इसे घर ले जाऊंगा ...' हैरी ने बिना सोचे समझे कह दिया और उस किताब को खोल लिया।
खिड़की पर रात गहराने लगी थी। हरविंदर बस उसी किताब को देख रहा है जिसमें लिखे शब्द थोड़े धुंधले हो गए हैं। 'भला इस किताब के लिए वो बूढ़ा ऐसा क्यों कह रहा था?' जानने के लिए यहां पढ़ें पूरी कहानी।, हैरी ने मन ही मन कहा। हैरी ने देखा कि समय ज्यादा हो गया है, तो उसने किताबों को छांटना शुरू कर दिया। फिर उस बूढ़े आदमी को देखा और उसके पास गया और कहा, 'मैं ये सारी किताबें ले जाऊं? थोड़े दिन में वापस कर दूंगा। आप रजिस्टर में लिख लीजिए।' इतना कहते ही उस आदमी ने कहा, 'यहां कोई रजिस्टर नहीं। इन्हें ले जाओ और अपने पास ही रखना, ध्यान रखना अगर एक भी पन्ना गायब हुआ, तो ये लाइब्रेरी तुम्हें माफ नहीं करेगी।' उसकी ये बात हैरी की समझ नहीं आई। आखिर क्या है यह... लाइब्रेरी माफ नहीं करेगी का क्या मतलब है?
बिना सोचे समझे हैरी किताबें लेकर चला गया, लेकिन अब हैरी की जिंदगी बदलने वाली थी। हैरी को पता भी नहीं था जिस किताब को वो ले आया है, वह ऐसी वैसी किताब नहीं कुछ अलग है। ऐसा क्या है उस किताब में? पढ़ें अगले एपिसोड में।
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