खाना खत्म होते ही मोहित तुरंत अपने कमरे की तरफ भागा..लेकिन आज मोहित खुश नजर आ रहा था..इसलिए मां को उसकी चिंता नहीं हो रही थी…मोहित ने कमरे का दरवाजा बंद किया और स्नेहा को तुरंत मैसेज किया
कमरे में जाते ही उसने तुरंत स्नेहा को मैसेज किया मैसेज भेजते ही स्नेहा ने तुरंत मैसेज सीन कर लिया था मोहित इस बात को जानने के लिए उत्सुक था कि आखिर क्या सच में काव्य ही स्नेह है… इस बात को कंफर्म करने के लिए वह बार-बार काव्य से यह पूछ रहा था कि क्या तुम सच में स्नेहा हो …लेकिन स्नेहा की बातों से अब मोहित को यह भरोसा हो गया था कि काव्य ही स्नेहा है…
लेकिन फिर भी मोहित यह जानना चाहता था कि स्नेहा इतने दिनों तक कहां थी… 2 साल से उसकी स्नेहा से कोई बात नहीं हुई थी …उसने काव्य को मैसेज किया और कहा कि क्या तुम प्लीज फेसबुक पर अपना नाम बदलकर स्नेहा कर सकती हो.. यह बात सुनकर काव्या कुछ देर चुप हो गई…उसका सामने से कोई रिप्लाई नहीं आया… करीब 10 मिनट बीत चुके थे… इसके बाद काव्य ने रिप्लाई किया… हां.. बिल्कुल मैं अपना नाम काव्या से बदलकर स्नेहा कर सकती हूं ….क्योंकि मैं स्नेहा ही तो हूं …यह बोलते ही काव्या ने अपना फेसबुक का नाम बदलकर स्नेहा कर दिया ।
इस बात से मोहित काफी खुश हो गया था… अब दोनों की बात बहुत अच्छे से होने लगी थी… रात में घंटों तक दोनों बहुत अच्छे से बात कर रहे थे…लेकिन मोहित सोच रहा था कि कुछ घंटों तक बात करने के बाद वह स्नेहा से सवाल करेगा कि आखिर वह 2 साल तक कहां थी….करीब सुबह के 4:00 बज गए थे ..उसने हिम्मत बांधकर स्नेहा से बातों-बातों में पूछा …स्नेहा तुम 2 सालों तक कहां थी… क्या तुम्हें एक बार भी मेरी याद नहीं ..आई इस बात पर स्नेहा ने कहा कि मेरा एक्सीडेंट हो गया था और एक्सीडेंट की वजह से मैं कोमा में थी …अभी कुछ महीना पहले ही मुझे होश आया है ….जैसे ही मैं ठीक हुई हूं और मुझे मेरे परिवार वालों की तरफ से फोन मिला है… तो मैंने तुम्हें ही सबसे पहले मैसेज किया…
मैं अपने पिछले अकाउंट का पासवर्ड भूल गई हूं …इसलिए मैं वह अकाउंट लॉगिन नहीं कर पा रही थी…लेकिन तुम मुझसे ये सब सवाल क्यों कर रहे हो… क्या तुम्हें अभी भी मुझपर भरोसा नहीं हो रहा है.. क्या तुम्हें अभी भी लगता है कि मैं स्नेहा नहीं हूं…
स्नेहा की बातें सुनकर मोहित भावुक हो गया …और बोला …अरे..नहीं नहीं…मुझे भरोसा हो गया है कि तुम ही स्नेहा हो.. मैं तो बस यूं ही पूछ रहा था…इसके बाद मोहित ने कहा कि ठीक है आज के बाद मैं तुमसे इस बारे में कभी सवाल नहीं करूंगा .…मुझे तुम पर भरोसा है …
अब दोनों के बीच सब कुछ अच्छा चल रहा था . उनकी बात होते-होते करीब 6 महीने का वक्त बीत चुका था …कुछ टाइम बाद मोहित ने स्नेहा से कहा कि क्या तुम मुझे अपनी तस्वीर भेज सकती हो….
मोहित का मौसेज पढ़ते ही स्नेहा चुप हो गई…क्योंकि मोहित ने कभी उससे, उसकी तस्वीर नहीं मांगी थी…मोहित का मैसेज पढ़कर स्नेहा ने कुछ देर बाद रिप्लाई किया…. नहीं…मैं तुम्हें अपना चेहरा तभी दिखाऊंगी जब मैं तुमसे मिलूंगी।
यह बात सुनकर मोहित ने हंसने वाला स्टीकर भेजा और कहा… ठीक है इस बार हम मुलाकात करते हैं… तुम मुझे जो भी जगह बताओगी मैं वहां तुमसे मिलने आ जाऊंगा …कुछ देर सोचने के बाद नेहा ने कहा मैं कभी दिल्ली नहीं आई हूं..इसलिए मैं ही दिल्ली आती हूं… हम दिल्ली के रेलवे स्टेशन पर मिलते हैं.. वहां से फिर कहीं घूमने चलेंगे..
स्नेहा मुंबई की रहने वाली थी …अब स्नेहा को मुंबई से दिल्ली आने के लिए लंबा सफर तय करना था ..स्नेहा ने मोहित को मिलने के लिए एक हफ्ते बाद का समय दिया था…
एक हफ्ते लगातार फोन पर बातचीत होने के बाद… आखिर मुलाकात का दिन आ गया… मोहित सुबह-सुबह उठा और बहुत ही सज-धज के स्नेह से मिलने के लिए तैयार हो रहा था…मोहित को खुश देखकर मां ने कहा…ओ हो.. आज तो मेरा बेटा बहुत अच्छा लग रहा है,, आज कुछ खास दिन है क्या …
इस बात पर मोहित ने कहा…मां आज मैं बहुत खुश हूं ..आज मैं किसी ऐसे इंसान से मिलने जा रहा हूं ..जो मेरे लिए बहुत ज्यादा खास है ..बेटे की बात सुनकर मां भी बहुत खुश थी… क्योंकि मां ने आज से पहले मोहित को इतना खुश कभी नहीं देखा था… मां ने भी अपने बेटे को गले लगाया और उसे जाने दिया…
मोहित रेलवे स्टेशन पहुंच गया था.. ट्रेन दोपहर 12:00 बजे आने वाली थी,.. अभी स्नेहा की ट्रेन रेलवे स्टेशन पर नहीं पहुंची थी… लेकिन मोहित सुबह 10:00 बजे से ही रेलवे स्टेशन पर स्नेहा का इंतजार कर रहा था..
स्नेह ने मोहित से कहा था कि मैं रेड कलर के सूट में आने वाली हूं …और मोहित ने भी लाल कलर की शर्ट पहनकर आने का वादा किया था…स्नेहा ट्रेन में थी और मोहित रेलवे स्टेशन पर बैठा उसका इंतजार कर रहा था ..
दोनों फोन पर बात कर रहे थे…तभी स्नेहा ने कहा कि बस मेरी ट्रेन रेलवे स्टेशन पर पहुंचने वाली है …यह सुनते ही मोहित सीट से उठ गया और यहां -वहां देखने लगा… उसे बस इंतजार था कि कभी भी बस स्नेहा की गाड़ी रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाए और तुरंत वह उसे मिलकर गले लगा ले..
यह पहली बार था जब मोहित स्नेहा को देखने वाला था… तभी ट्रेन रेलवे स्टेशन पर पहुंच जाती है …यह ट्रेन का आखिरी स्टॉप था इसलिए सभी यात्री ट्रेन से उतर गए.. पुरी ट्रेन खाली हो चुकी थी लेकिन अभी तक मोहित को स्नेहा नजर नहीं आई थी… मोहित पागलों की तरह रेलवे स्टेशन पर यहां-वहां भाग रहा था और स्नेहा को खोज रहा था।
तभी सामने से एक लाल कलर की सूट में लड़की आई… मोहित को लगा कि शायद यही स्नेहा है… मोहित तुरंत उसकी तरफ भाग कर गया और उससे पूछा क्या तुम स्नेहा हो? लड़की ने जवाब दिया नहीं मैं स्नेहा नहीं हूं ..उसके मना करते ही मोहित फिर से यहां-वहां भागने लगा …मोहित स्टेशन पर स्नेहा-स्नेहा चिल्ला रहा था..वह पागलों की तरह रेलवे स्टेशन पर उसे खोज रहा था… तभी पीछे से एक लड़की ने उसके कंधे पर हाथ रखा..लड़की ने लाल कलर का सूट पहना था…उसके हाथ पर तितली का टैटू भी था… स्नेहा को देखते ही मोहित हैरान रह गया.. मोहित को भरोसा नहीं हो रहा था कि यही स्नेहा है… मोहित ने कहा..सॉरी मैं आपको नहीं जानता..मैं किसी और स्नेहा को खोज रहा हूं,..लड़की ने सामने से पूछा..क्या तुम मोहित हो…
इस बात पर मोहित बोला.. हां… लेकिन मैं आपको नहीं जानता…स्नेहा ने कहा..मैं ही वो स्नेहा हूं..देखो मेरे हाथ पर टैटू भी है…टैटू देखने के बाद भी मोहित ने स्नेहा को पहचानने से मना कर दिया…
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आखिर क्यों मोहित स्नेहा को नहीं पहचान रहा था…टैटू दिखाने के बाद भी क्यों मोहित ने कहा कि वह उसे नहीं जानता..जानने के लिए पढ़ें अगला एपिसोड
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