भारत का एक विशाल इतिहास है। इस इतिहास में जानने और देखने के लिए बहुत कुछ है। अगर सिर्फ देखने की बात की जाए तो भारत में ऐसी कई इमारते हैं जो इतिहास के राज खोल देती हैं। इनमें से ज्यादातर इमारतें राजाओं या मुगल शासकों द्वारा बनवाई गई हैं। मगर आज हम आपको कुछ ऐसी इमारतों के बारे में बताएंगे, जिनका निर्माण महिलाओं ने करवाया है। आज भी यह इमारते उन महिलाओं की रचनात्मकता की कहानी सुनाती हैं ।
हुमायुं टोंब
दिल्लीं में मौजूद यह टोंब मुगल बादशाह हुमायुं का मकबरा है, जिसे उनकी पत्नीे हमीदा बानु बेगम ने बनवाया था। लाल पत्थरों से बनी यह इमारत भारतीय और पारसी शैली में तैयार की गई है। इसमें पारसी गुंबद बनाए गए हैं जिनकी दीवारों पर फारसी शब्द में लिखी कुरान की आयतें इसे और भी खूबसूरत बनाती हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में बनवाया गया यह सबसे पहला मकुबरा था।
रानी का वाव
गुजरात के पाटन में मौजूद रानी का वाव एक बावड़ी हैं जिसका निर्माण ग्यारहवीं शताब्दी में सन 1063 में सोलंकी राजवंश की रानी उदयमती ने करवाया था। यह वाव रानी ने अपने पति राजा भीमदेव की याद में बनवाई थी। मरु गुर्जर शौली में बनी इस वाव में सबसे ज्याादा आकर्षित करती है इसमें मौजूद पानी को रिजर्व करने की तकनीक। रानी की वाव में 7 लेवल पर सीढि़यां बनी हुई हैं और उनकी दीवारों में 500 बड़ी मूर्तियां और 1000 छोटी मूर्तियां बनी हुई हैं।
मोहिनिश्वरा शिवालय मन्दिर
गुलमर्ग सुंदर वादियों में मौजूद यह मंदिर कश्मीर के तत्कालीन शासक राजा हरि सिंह की पत्नी महारानी मोहिनी बाई सिसोदिया ने 1915 ई. में बनवाया था। इस मंदिर का नाम रानी के नाम पर ही रखा गया है। पहाड़ी पर बने होने के कारण यह मंदिर गुलमर्ग के हर कोने से देखा जा सकता है। इस मंदिर की छत चमकदार लाल रंग की हैं इसलिए यह और भी अच्छे से विजिबल होती है।
विरुपाक्ष मंदिर
यह मंदिर हम्पी में स्थित है। यह मंदिर साउथ इंडिया के प्रसिद्ध मंदिरों की सूचि में पहले नंबर पर आता है। 740 ई.पू. में रानी लोकमहादेवी ने अपने पति राजा विक्रमादित्य द्वितीय की पल्लव शासकों पर जीत की की खुशी में इस मंदिर को पट्टदकल में बनवाया था। यह मंदिर दूसरे मंदिरों से इसलिए भी खास क्योंकि यहां उत्तर भारत की नागर कला और दक्षिण भारत की द्रविड़ कला का सुन्दर और अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। क्योंंकि यह मंदिर रानी लोकमहादेवी ने बनवाया था इसलिए बहुत सारे लोग इस मंदिर को लोकेश्वर मंदिर के नाम से भी जानते हैं।
Credits
Producer: Rohit Chavan
Editor: Anand Sarpate