मां बनना दुनिया का सबसे खूबसूरत एहसास होता है। इस एहसास के बारे में न जाने कितना कुछ लिखा और कहा गया है। लेकिन इस सब के बीच ये भी सच है कि जब कोई औरत मां बनती है, तो अचानक से उससे सबकी उम्मीदें बढ़ जाती हैं। सबको लगता है कि मां बनते ही कोई भी औरत अपने आप परफेक्ट हो जाती है, मां को गलती करने की, थकने की इजाजत नहीं होती है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है।
किसी भी नए सफर की तरह इस सफर में भी गलतियां करना, सीखना, थकना, हारना और कई बार परेशान हो जाना भी लाजमी है। यह सफर हर महिला के लिए अलग होता है और यही इस सफर की खूबसूरती है। मेरा नाम आराधना गुप्ता है और मेरी जिंदगी में इस खूबसूरत एहसास ने 9 साल पहले दस्तक दी थी, जब मेरी बेटी इशानवी का जन्म हुआ था।
मां बनने के साथ आती हैं जिम्मेदारियां
मां बनने के बाद मेरी जिंदगी की एक नई कहानी या यूं कहें एक नई जिंदगी शुरू हुई। ज्यादातर लोग कहते हैं कि मां बनना किसी भी औरत को पूरा करता है, जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है, जो कि सच भी है। कोई भी औरत जब मां बनती है, उसके बाद उसका सबसे ज्यादा जुड़ाव, अपने बच्चे के साथ होता है। लेकिन इसके साथ ही कई जिम्मेदारियां भी आती हैं, जिनके बारे में अक्सर लोग बात नहीं करते हैं। आप बेशक इस एहसास की तारीफ में कसीदे पढ़ लें लेकिन इस एहसास के साथ आने वाली जिम्मेदारियों को पूरा करना किसी भी नई मां के लिए आसान नहीं होता है। जब मेरी बेटी का जन्म हुआ, उस वक्त मैं जॉब करती थी, मैं जर्नलिस्ट हूं तो काम का समय भी फिक्स नहीं था। मेरी बेटी पूरी रात जागती थी सुबह 5 बजे करीब सोती थी और 6 बजे मुझे ऑफिस के लिए तैयार होना होता था और जाहिर सी बात है फिर ऑफिस में काम के बीच में आराम मिलने का तो कोई चांस ही नहीं होता था। ऐसे में सिर्फ 1 घंटे की नींद लेकर ऑफिस जाना, वहां पूरे दिन काम करना और फिर घर आकर अपनी बेटी और घर को संभालना आसान नहीं था।
नई मां को मिलना चाहिए पूरा सपोर्ट
कोई भी महिला जब मां बनती है, उस दौरान उसे अपने पति और ससुराल वालों का पूरा साथ मिलना चाहिए। बच्चे की जिम्मेदारी पूरी तरह से मां पर छोड़ देना सही नहीं है। यह एक ऐसी जिम्मेदारी है, जो सबको बांटनी होगी। अगर आपका पति और ससुराल वाले आपसे तो आदर्श बहू, पत्नी और मां बनने की उम्मीद रखेंगे लेकिन सपोर्ट नहीं करेंगे तो ये पॉसिबल नहीं है।
मां बनने का खूबसूरत सफर
बेशक इस सफर में जिम्मेदारियां आती हैं, आपकी जिंदगी पूरी तरह से बदल जाती है, हर मोड़ पर नई जिम्मेदारियां और चैलेंज आते हैं, लेकिन ये भी सच है कि ये सफर बहुत खूबसूरत है। अगर आपका पार्टनर केयरिंग हो, घरवाले सपोर्ट करें और सोसाइटी जज करने की जगह आपकी हिम्मत बढ़ाए, तो किसी भी महिला के लिए ये सफर सबसे यादगार होता है। मुझे ऐसा लगता है कि जब मां जब वर्किंग होती है तो बच्चा ज्यादा इडिपेंडेंट और जिम्मेदार बनता है, मेरी 9 साल की बेटी काफी जिम्मेदार है। जर्नी अच्छी थी बहुत कुछ सीखा।
आराधना शर्मा
(लेखिका फ्रीलांस जर्नलिस्ट है, स्टोरी में व्यक्त किए गए विचार उनके अपने हैं।)
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों