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सायना नेहवाल भारतीय महिलाओं के लिए हैं आदर्श, जानिए उनके बारे में कुछ रोचक तथ्‍य

सायना ने अपने शानदार खेल से ना केवल भारत का नाम दुनिया भर में ऊंचा कर दिया है बल्कि लोगों को यह भी जता दिया है कि महिलाओं को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। 

Anuradha Gupta

Updated:- 2018-09-01, 12:20 IST

भले ही भारत में आज भी महिलाओं के ऊपर कई तरह की बंदिशें हों। सामाजिक, पारिवारिक और सांस्‍कृतिक रूप से उन्‍हें वो आजादी न दी गई हो जो पुरुषों को मिले हैं। बावजूद इसके महिलाएं पुरुषों से हर क्षेत्र में आगे निकल चुकी हैं। यहां तक की खेल की दुनयिा में भी अब महिलाओं ने खुद को स्‍थापित कर दिया है। भारत में कई खेलों में आज महिलाएं ही सफल हैं और उनके नाम से ही भारत को उस खेल में दुनिया भर में पहचान मिली हुई है। ऐसी ही एक खिलाड़ी सायना नेहवाल हैं। भारत की इस होनहार बैडमिंटन खिलाड़ी का 17 मार्च को बर्थ डे होता है। आज सायना ने अपने शानदार खेल से ना केवल भारत का नाम दुनिया भर में ऊंचा कर दिया है बल्कि लोगों को यह भी जता दिया है कि मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति रखने वाली महिलाओं को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। मगर सायना के अंदर यह हौसला ऐसे ही नहीं आया।

दरअसल सायना का जब जन्‍म हुआ तो उनकी दादी ने उन्‍हें देखने से भी इंकार कर दिया। सानिया की दादी को पता चाहिए था। सायना के होने पर वह इतना नाराज हो गईं कि 4 महीने तक सायना का चेहरा ही नहीं देखा। दादी की नजरअंदाजगी और कुछ कर गुजरने के हौसलने ने सानिया को आगे बढ़ाया और सायना ने महिला होते हुए भी खेल की दुनिया में सफलता के कई पैमानों को पार कर दिया। आज उनकी सफलताओं के कुछ अंश हम आप से शयर करेंगे।

  • सायना लंदन ओलम्पिक-2012 में महिला एकल वर्ग की कांस्य पदक विजेता रहीं और ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला बैंडमिंटन खिलाड़ी रही हैं।
  • साल 2010 सायना के करियर का गोल्डेन टाइम रहा है क्योंकि इसी साल उन्होंने सिंगापुर सुपरसीरीज, इंडोनेशिया सुपरसीरीज, हांगकांग सुपरसीरीज के अलावा इंडिया ग्रांप्री गोल्ड जीता और एशियन चैम्पियनशिप के महिला एकल वर्ग में कांस्य पदक हासिल किया था।
  • साल 2010 में ही राष्ट्रमंडल खेलों में सायना ने महिला एकल वर्ग का स्वर्ण पदक हासिल किया था। सायना आज भारत के टॉप 5 एंडोर्समेंट में से एक हैं। वो बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे Yonex, इंडियन ओवरसीज बैंक की ब्रांड एंबेसडर हैं।
  • सायना का सपना था कि वो सुखोई में उड़ान भरे और वो सपना वायुसेना ने पूरा कर दिया। ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला बैंडमिंटन खिलाड़ी रही हैं। ओलंपिक खेलों में बैडमिंटन में भारत को पहला पदक दिलाने वाली सायना इस समय रैंकिंग में दूसरे स्थान पर हैं।
  • सायना विश्व जूनियर बैडमिंटन चैंपियन भी रह चुकी हैं। सायना के मम्मी-पापा दोनों ही बैडमिंटन खिलाड़ी थे जिसके चलते सायना की रूचि भी इस खेल के प्रति बढ़ गई। सायना भारत के सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गाँधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हो चुकीं हैं।
  • सायना के लिए सफलता का मंत्र हैं ऐसे ख्वाबों के देखना जो सजीव हो सकते हैं और उनके लिए रात दिन अनुशासन में रहकर मेहनत करना।
  • सायना नेहवाल बैडमिंटन खिलाड़ी होने से पहले कराटे चैंपियन थी। वह काराटे में ब्राउन बैल्‍ट हैं।
  • सायना अब तक 20 से ज्‍यादा इंटरनैशनल खिताब अपने नाम कर चुकी हैं।

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