Expert Tips: अगर बच्चों की आंखें हैं कमज़ोर तो इन बातों का रखें ख़ास ध्यान

अगर आपके बच्चे की आंख कमज़ोर हैं तो उसे हेल्दी और सुरक्षित बनाए रखने के लिए इन टिप्स को फ़ॉलो करें।
Priyanka Singh

आजकल बच्चों की लाइफ़स्टाइल काफ़ी बदल गई है, खाने से लेकर उनके खेलने तक की आदतों में काफ़ी बदलाव देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि वह बीमारी और अन्य तरह की शारीरिक परेशानियों का सामना कम उम्र में ही कर रहे हैं। मोबाइल फ़ोन या फिर लैपटॉप पर घंटों वक़्त बिताने की वजह से ज़्यादातर बच्चों की आंखें जल्दी कमज़ोर हो रही हैं। आई स्पेशलिस्ट शिबल भारतीय के अनुसार बच्चों के आंखें कमज़ोर होने के पीछे कई वजह हैं। अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो इनकी आंखों की रौशनी तेज़ की जा सकती है। इसके अलावा यह समझना ज़रूरी है कि ये महत्वपूर्ण बातें ना सिर्फ़ आंखों की रौशनी तेज़ करने के लिए सहायक हैं बल्कि इससे इन्हें लंबे समय तक सुरक्षित भी रखा जा सकता है।

1 साल में एक बार ज़रूर करवाएं आंखों का चेकअप

यह ज़रूरी नहीं कि बच्चों के आंखें ख़राब होने के लक्षण हों, तभी आप उनका चेकअप करवाएं। साल में एक बार आई चेकअप के लिए बच्चों को डॉक्टर के पास ज़रूर लेकर जाएं। हालांकि बच्चों की आंखों की रौशनी कमज़ोर है तो डॉक्टर के कहे जाने पर साल में एक या उससे ज़्यादा बार चेकअप के लिए ज़रूर जाएं।

10 आंखों पर चोट लगने से बचाएं

बच्चे अक्सर खेलते-कूदते वक़्त गिर जाते हैं, कई बार उनकी आंखों पर भी चोट लग जाती है। इसलिए उन्हें सुरक्षित रखने के लिए सनग्लास जैसी चीज़ें पहनने की सलाह दें। इसके अलावा भीड़-भाड़ जैसी जगहों पर जाने से पहले प्रॉपर प्रोटेक्शन का ध्यान रखें।

2 बच्चों को दो घंटे खेलने की हो इजाज़त

इन दिनों बच्चे आउटडोर गेम खेलना भूल चुके हैं, दिन भर वीडियो या फिर मोबाइल गेम खेलते रहते हैं। इससे बच्चों की आंखों की रौशनी और कमज़ोर हो सकती है। अगर आप सोसाइटी में रहती हैं तो बाहर या फिर घर की छत पर कम से कम उन्हें दो घंटे ज़रूर खेलने दें। यह उनके शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।

3 खाने में हो पौष्टिक आहार

कई ऐसे सब्ज़ी और फल हैं जो आंखों को हेल्दी बनाए रखने के लिए बेस्ट माने जाते हैं। अगर बच्चों की आंख कमज़ोर है तो उन्हें हेल्दी बनाए रखने के लिए पौष्टिक भोजन को डाइट में शामिल करें। आंवला, गाजर, शकरकंद, और कद्दू का भरपूर सेवन करायें, इसमें मौजूद विटामिन उनकी आंखों की समस्या को दूर करने के साथ-साथ उन्हें हेल्दी बनाये रखने में भी मदद करेगी।

4 स्क्रीन टाइम कम करें

अगर बच्चों की आंख पहले से कमज़ोर हैं तो उनके लिए यह बेहद ज़रूरी है कि स्क्रीन पर कम समय बिताएं। वहीं क्लासेज़ लेते वक़्त बच्चों को लगातार स्क्रीन पर बैठने के बजाय बीच-बीच में ब्रेक लेने को कहें। कई बच्चे मज़ाक़ में घर के बड़ों के चश्मे को पहन लेते हैं, यह उनकी आंखों को नुक़सान पहुंचा सकता है। इसलिए ध्यान रखें कि बच्चे स्क्रीन पर कितनी देर बैठ रहे हैं। 

5 नियमित रूप से पहने चश्मा-

अगर बच्चों की आंखों पर पहले से चश्मा है तो उन्हें नियमित रूप से पहनने की सलाह दें। काम करते वक़्त या फिर स्क्रीन के सामने बैठते वक़्त आंखों पर तनाव ना पड़े इसके लिए ये बहुत ज़रूरी है। नियमित तरीक़े से चश्मा नहीं पहनने से आंखों का नंबर बढ़ सकता है, और आगे चलकर समस्याएं और बढ़ जाएंगी।

6 डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाईयों का सेवन

कई बार आंखों में दर्द या फिर थकावट को लेकर डॉक्टर दवाईयां खाने की सलाह देते हैं। इन दवाईयों को समय पर लेना बहुत ज़रूरी है, कई बार आंखों के कमज़ोर होने के पीछे कई अन्य वजह भी हो सकती हैं, इसलिए दवाओं का सेवन नियमित और समय पर करना अनिवार्य है।

 

7 रूटीन में शामिल करें आंखों की एक्सरसाइज़

वर्कआउट के अलावा आंखों की एक्सरसाइज़ भी डेली रूटीन का मुख्य हिस्सा होनी ज़रूरी है। अगर बच्चों की आंखें कमज़ोर हैं तो उन्हें आई एक्सरसाइज़ के लिए प्रोत्साहित करें। रिलैक्सेशन एक्सरसाइज़, पलके झपकाएं, दूर तक देखें आदि जैसी कई एक्सरसाइज़ बच्चे रोज़ाना करें तो आंखों की रौशनी तेज़ हो सकती है। हालांकि इन एक्सरसाइज़ को करने का तरीक़ा हमेशा सही होना चाहिए।

8 किसी भी तरीक़े की दवाओं का सेवन ना करें

कई बार आंखों में समस्या होने पर हम केमिस्ट से दवा लेते हैं। इसे आंखों में डालना या फिर सेवन करना ख़तरे से खाली नहीं है। केमिस्ट पर अक्सर स्टेरॉयड और quacks ही मिलते हैं जो कि आँखों को ख़राब कर सकते हैं। इसलिए जब भी किसी तरह की समस्या का सामना कर रही हैं तो बच्चे को सबसे पहले डॉक्टर के पास लेकर जाएं।

9 आंखों को नहीं है धोने की ज़रूरत

एक्सपर्ट शिबल भारतीय के अनुसार आंखों को धोने का कोई फ़ायदा नहीं हैं। अगर बच्चे की आंख में कुछ चला जाता है तो साफ़ पानी में हल्के से आंख बार-बार खोलें और बंद करें। पानी का छपाक आंखों पर मारने से धूल-मिट्टी जैसी चीज़ें अंदर बैठ सकती हैं, जिससे समस्या बढ़ सकती हैं। इसलिए कोशिश करें कि इस प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए आंखों को धोएं।

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