significance of tarabalam in hindu wedding

ज्योतिष में विवाह के लिए ताराबल का है विशेष महत्व, जानें...

ज्योतिष शास्त्र में विवाह के लिए ग्रह-नक्षत्रों का विशेष महत्व होता है। अब ऐसे में शादी में ताराबल योग का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Editorial
Updated:- 2025-01-23, 23:00 IST

ज्योतिष शास्त्र में विवाह को एक पवित्र बंधन माना जाता है। विवाह के समय कई तरह के विचार किए जाते हैं, जिनमें से एक महत्वपूर्ण ताराबल है। ताराबल का अर्थ है किसी ग्रह की शक्ति या प्रभाव। विवाह के संदर्भ में, ताराबल का मतलब है कि विवाह के समय कौन से ग्रह मजबूत या कमजोर हैं और उनका विवाह पर क्या प्रभाव पड़ेगा। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।

विवाह में ताराबल का मतलब क्या है?

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विवाह में ताराबल का अर्थ है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार विवाह के समय ग्रहों की स्थिति का महत्व। यह माना जाता है कि विवाह के समय ग्रहों की स्थिति नवदंपत्ति के भविष्य को प्रभावित करती है।
विवाह में मुख्य रूप से शुक्र और बृहस्पति ग्रहों को देखा जाता है। शुक्र ग्रह प्रेम और सुख का कारक है, जबकि बृहस्पति ग्रह ज्ञान और धर्म का कारक है। इन ग्रहों की अनुकूल स्थिति विवाह जीवन को सुखमय बनाती है।
ताराबल देखने का उद्देश्य यह होता है कि विवाह के समय ग्रहों की स्थिति ऐसी हो कि नवदंपत्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और सौभाग्य आए।

ज्योतिष शास्त्र में ताराबल

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह के लिए शुक्र और बृहस्पति ग्रहों का ताराबल महत्वपूर्ण होता है। करियर के लिए सूर्य, बृहस्पति, और शनि ग्रहों का ताराबल महत्वपूर्ण होता है। चंद्रमा, मंगल, और शनि ग्रह स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। बृहस्पति और शुक्र ग्रह धन को प्रभावित करते हैं।

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ताराबल को मजबूत करने के लिए करें उपाय

  • अगर आपकी कुंडली में ताराबल की स्थिति कमजोर है तो कुछ उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
  • रविवार के दिन सूर्य देव को जल अर्पित करें। गायत्री मंत्र का जाप करें और रविवार का व्रत रखें।
  • सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाएं, सोमवार का व्रत रखें, मोती धारण करें।
  • मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करें, मंगलवार का व्रत रखें और मूंगा धारण करें।
  • बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करें और बुधवार का व्रत रखें, पन्ना धारण करें।
  • गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की पूजा करें, गुरुवार का व्रत रखें, पुखराज धारण करें।
  • शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी की पूजा करें, शुक्रवार का व्रत रखें और हीरा धारण करें।
  • शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करें और शनिवार का व्रत रखें, नीलम धारण करें।

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Image Credit- HerZindagi

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