सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान पूर्ण रूप से भक्त उनकी भक्ति में सराबोर होते हैं। यह पूरा समय शिव जी की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। मुख्य रूप से सावन के सभी सोमवार को शिव जी की आराधना करने से जीवन में खुशहाली बनी रहती है और समृद्धि आती है। यही नहीं इस दौरान पूजन करने से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद भी मिलता है। यह पूरा समय शिव जी की आराधना के लिए अत्यंत पावन माना जाता है। विशेष रूप से सावन के सोमवार को व्रत रखने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को मनचाहा फल प्रदान करते हैं। यही नहीं इस दौरान सभी सोमवार का व्रत करने के बाद उसका उद्यापन करना भी जरूरी माना जाता है। अगर आप भी सावन के सभी सोमवार को व्रत का पालन करती हैं तो आपके लिए इस व्रत के उद्यापन की सही विधि भी जरूर जान लेनी चाहिए। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें सावन सोमवार के व्रत की सही विधि के बारे में विस्तार से।
सावन सोमवार व्रत की शुरुआत कैसे की जाती है
सावन सोमवार का व्रत तीन प्रकार से किया जा सकता है और ये आप अपनी श्रद्धानुसार कर सकती हैं। आइए आपको बताते हैं सावन सोमवार का व्रत करने के मुख्य 3 तरीके-
- फलाहार व्रत- यह ऐसा व्रत होता है जिसमें आप दिनभर फल, दूध या जूस पीकर ही व्रत का पालन करती हैं। इसमें आपको अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
- एक समय भोजन- व्रत रखने के दूसरे प्रकार में केवल एक बार ही भोजन करना शामिल होता है। इसमें भक्त पूरे दिन व्रत का पालन करते हैं और शाम के समय केवल एक बार ही सात्विक भोजन करते हैं।
- किसी एक वस्तु का सेवन करना- व्रत के इस प्रकार में केवल दूध या कोई मेवे जैसे काजू या किशमिश का सेवन करके व्रत का पालन करना। इस तरह के व्रत में भक्त इनमें से कोई एक ही चीज खाते हुए व्रत का पालन करते हैं।

व्रत का संकल्प करना जरूरी क्यों होता है
जब भी आप सावन सोमवार का व्रत करती हैं, आपको उसका संकल्प जरूर लेना चाहिए। इसके लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर साफ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प करें। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध वस्त्र धारण करें और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीपक जलाकर यह संकल्प करें कि 'हे महादेव! मैं आज से सावन सोमवार व्रत कर रही हूं। कृपया मेरी पूजा स्वीकार करें और मेरी मनोकामनाओं को पूर्ण करें।'
सावन सोमवार व्रत का उद्यापन कैसे करें
- जब हम सावन सोमवार व्रत की बात करते हैं, तो आपको सावन के आखिरी सावन यानी कि 04 अगस्त 2025 को ही उद्यापन करना होगा, जिससे सभी व्रतों का फल एक साथ मिले ।
- भगवान शिव और माता पार्वती के लिए वस्त्र, श्रृंगार सामग्री, फल, दक्षिणा और प्रसाद चढ़ाएं।
- यह सामग्री आप मंदिर में जाकर चढ़ाएं या घर में ही पूजा करके ब्राह्मण अथवा कन्याओं को दान करें। यदि आप इन सामग्रियों को मंदिर में चढ़ाती हैं तो आपके लिए इसके शुभ फल मिल सकते हैं।
- पूरे दिन व्रत रखने के बाद पूजा करें और शाम के समय सभी को प्रसाद बांटें।
- जिस दिन आप उद्यापन कर रही हैं ध्यान रखें कि उस दिन सुबह उठकर शिवलिंग को स्न्नान कराएं और मंदिर में पूजन करें।
- उद्यापन के लिए आपको सोमवार को प्रदोष काल में भी पूजन करना चाहिए।
उद्यापन के समय किन बातों का रखें ध्यान?
- जब आप सावन सोमवार के व्रत का उद्यापन कर रही हैं तो सबसे प्रमुख बात आपका मुख्य भाव होता है।
- इस दिन आप दान-दक्षिणा का संकल्प लें, आप यथाशक्ति ब्राह्मणों, कन्याओं या जरूरतमंदों को दान अवश्य दें।
- सावन सोमवार का व्रत और उद्यापन आपको हर साल सावन में करना चाहिए। वहीं अगर आप सावन से सोलह सोमवार का व्रत कर रही हैं तो आपको इस व्रत का उद्यापन सोलहवें सोमवार को करना चाहिए।
सावन सोमवार का व्रत और उसका विधि पूर्वक उद्यापन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है बल्कि आत्मिक संतोष और मनोकामनाओं की पूर्ति का मार्ग भी दिखाता है।
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