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अमावस्या की अंधेरी रात के अगले दिन प्रतिपदा का चंद्र दर्शन क्यों माना जाता है शुभ, 21 नवंबर को चंद्रमा की पूजा से मिल सकते हैं कई लाभ

अमावस्या तिथि के दिन पूर्ण रूप से अंधकार छाया रहता है और इसके ठीक अगले दिन प्रतिपदा तिथि के दिन नया चंद्रमा उदय होता है। आइए जानें प्रतिपदा का चंद्रमा इतना खास क्यों माना जाता है और इसके दर्शन के लाभ क्या हैं।
Editorial
Updated:- 2025-11-20, 19:20 IST

पूरे साल में 12 अमावस्या तिथियां होती हैं और सभी का अपना अलग महत्व होता है। अमवस्या की रात अंधकार में डूबी रहती है और इस दिन चंद्रमा पूर्ण रूप से अस्त होता है। यही अंधकार प्रतिपदा तिथि के उदय होते ही समाप्त होने लगता है और आकाश में पहली बार दिखाई देता है कोमल, शांत और शुभता से भरा हुआ नवचंद्र यानी नया चंद्रमा। हिंदू शास्त्रों में प्रतिपदा के चंद्र दर्शन को अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि इसी दिन पहली बार चंद्रमा अपने नए रूप में दिखाई देता है। इसी तरह मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन यानी 20 नवंबर के अगले इन 21 नवंबर 2025 को भी प्रतिपदा तिथि मनाई जाएगी। इस दिन चंद्र दर्शन का विशेष योग बन रहा है, जिसके कारण इस दिन चंद्रमा की पूजा और दर्शन को विशेष महत्व दिया जा रहा है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा का उदय जीवन में नई ऊर्जा, शांति और सौभाग्य लेकर आता है। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इस दिन के चंद्र दर्शन के महत्व के बारे में।

प्रतिपदा का चंद्र दर्शन क्यों होता है खास

अमावस्या के दिन चंद्रमा अदृश्य होता है, जिसे तमस यानी अंधकार का प्रतीक माना जाता है, लेकिन प्रतिपदा के उदय के साथ ही चंद्रमा पहली बार दिखाई देता है। यह चंद्रमा दिव्यता, प्रकाश और नई शुरुआत के साथ मन की शांति का संकेत देता है। शास्त्रों में प्रतिपदा के चंद्र दर्शन को पुनर्जन्म के समान माना जाता है, क्योंकि यह नई ऊर्जा और नए चक्र के आरंभ का सूचक होता है। यदि कोई व्यक्ति इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने के साथ चंद्रमा की पूजा करता है तो उसके जीवन में सदैव खुशहाली बनी रहती है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।

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मार्गशीर्ष प्रतिपदा 21 नवंबर 2025 को चंद्र दर्शन का महत्व

21 नवंबर के दिन प्रतिपदा तिथि पर चंद्र दर्शन एक शुभ योग लेकर आ रहा है इस दिन चंद्रमा का उदय अर्थ लाभ, मानसिक शांति और वैवाहिक सुख को बढ़ाने वाला माना जा रहा है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है जो शांति का प्रतीक होता है। अगर आप इस दिन चंद्र दर्शन करती हैं तो आपको सदैव मानसिक शांति की अनुभूति होती है। ज्योतिष के अनुसार, इस दिन किया गया चंद्र पूजन विशेष रूप से मन की अशांति, क्रोध, चिंता और निर्णयों में उलझन से बचाता है और जीवन में सकरात्मक ऊर्जा लाता है।

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प्रतिपदा तिथि पर चंद्रमा की पूजा कैसे करें

प्रतिपदा तिथि के दिन आप प्रातः उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर पूजन शुरू करें और घर के मंदिर को साफ़ करें। अमावस्या तिथि के अगले दिन मंदिर की सफाई बहुत शुभ मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा मन, भावनाओं और मानसिक संतुलन का प्रतीक माना जाता है। जब आप चंद्रमा की पूजा प्रतिपदा तिथि के दिन करती हैं तो इससे कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है। इस दिन यदि आप चंद्रमा को पानी में कच्चे दूध की कुछ बूंदें डालकर अर्घ्य दें जो आपके लिए लाभकारी माना जाता है। प्रतिपदा का चंद्र दर्शन इस ग्रह को मजबूत करने के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।

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Images: Shuttrstock.com

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