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Ank 16: महालक्ष्‍मी व्रत में क्‍या है 16 अंक का राज ? जानें महालक्ष्‍मी व्रत में क्यों दिया गया इस संख्या को महत्व

महालक्ष्मी व्रत 2025 में 16 दिन और 16 अंक का क्या है धार्मिक रहस्य? जानें पंडित मनीष शर्मा से कि महालक्ष्मी व्रत में इस संख्या को क्यों माना गया है शुभ और आध्यात्मिक रूप से शक्तिशाली।
Editorial
Updated:- 2025-09-04, 16:26 IST

महालक्ष्‍मी व्रत को हिंदू धर्म में विशेष मान्‍यता मिली हुई है। 16 दिनों तक चलने वाले यह व्रत बहुत ही महत्‍वपूर्ण होते हैं। देवी लक्ष्‍मी को सभी देवीयों में सबसे श्रेष्‍ठ माना गया है और यह व्रत उन्‍हीं के एक स्‍वरूप महालक्ष्‍मी के लिए रखा जाता है। देवी लक्ष्‍मी का यह स्‍वरूप सुख, समृद्धि, वैभव, ऐश्‍वर्य के साथ-साथ जीवन की कठिनाइयों को दूर करने वाला होता है। इस व्रत में विधि विधान का खास महत्‍व है। खासतौर पर महालक्ष्‍मी व्रत में 16 अंक को विशेष बताया गया है। इस बारे में हमारी बात पंडित मनीष शर्मा से हुई और उनसे हमने जाना कि यह अंक क्‍यों इतना महत्‍वपूर्ण है। वह कहते हैं, " इस अंक का धार्मिक महत्‍व है। इस अंक के पीछे आध्‍यात्मिक और पौराणिक कथाएं और तथ्‍य छिपा हुआ है। "

importance of 16 number in mahalaxmi vrat

क्‍या है 16 अंक का महत्‍व ?

चलिए पंडित जी से जानते हैं 16 अंक का महत्व और इसके पीछे छिपा पौराणिक तथ्‍य :

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  • हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा 16 प्रकार से की जाती है। इसे शोडशोपचार विधि से पूजा करना कहा जाता है। इस विधि में देवी देवताओं को 16 प्रकार की सेवाएं अर्पण की जाती है। इनमें आचमन, स्‍नान, वस्‍त्र, सुगंध, पुष्‍प, धूप, दीप आदि शामिल है।
  • महालक्ष्‍मी को सोलह कलाओं से परिपूर्ण माना गया है। किसी स्त्रि में जिसे 16 कलाएं आती हैं उसे संपूर्ण माना जाता है। इसलिए 16 अंक को संपूर्णता को प्रतीक माना गया है।
  • स्त्रियों के जीवन में 16 श्रंगार का भी विशेष महत्‍व बताया गया है। महालक्ष्‍मी को भी 16 श्रृंगार अर्पण किया जाता है और यह व्रत रखने वाली स्त्रि को भी सोलह श्रंगार जरूर करना चाहिए।
  • 16 अंक को धन, वैभव और सौभाग्य से जोड़ा जाता है। महालक्ष्मी, जो धन की देवी हैं, उनकी कृपा पाने के लिए 16 दिन की तपस्या से आत्मा शुद्ध होती है और घर में सुख-शांति आती है।
  • महालक्ष्‍मी की पूजा में 16 दिपकों को भी महत्‍व है। अगर आप भी महालक्ष्‍मी का 16 दिन का व्रत रख रही हैं, तो आपको भी प्रत्‍येक दिन 16 घी के दीपक माता रानी को अर्पित करने चाहिए।
  • 16 दिन तक महालक्ष्‍मी के व्रत करने से व्यक्ति में आत्मनियंत्रण और धैर्य आता है, जो देवी लक्ष्मी को प्रिय है। 16 दिन व्रत करने का संकल्‍प आपकी मनोकामनाओं को पूरा करता है।
  • कुछ मान्यताओं के अनुसार, माता लक्ष्मी ने 16 दिन तक व्रत रखकर भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था, और यह परंपरा उसी से प्रेरित मानी जाती है।

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महालक्ष्मी व्रत में 16 दिन और 16 अंक सिर्फ संख्या नहीं हैं, बल्कि धार्मिक पूर्णता, आस्था और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का मार्ग हैं। जो व्यक्ति इस व्रत को नियमपूर्वक करता है, उसके जीवन में सुख, समृद्धि और मानसिक शांति का आगमन निश्चित होता है। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे लेख को शेयर और लाइक करें इसी इसी तरह और भी आर्टिकल्‍स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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FAQ
क्या 16 दिन लगातार महालक्ष्‍मी व्रत रखना अनिवार्य है?
नहीं, महालक्ष्‍मी व्रत आप 16 दिन के अंदर आने वाले हर शुक्रवार को रख सकती हैं। आप सबसे पहाला और आखिरी महालक्ष्‍मी व्रत भी रख सकती हैं। वहीं आप 16 दिन में 3,5, 7,9,11 महालक्ष्‍मी जी के व्रत भी रख सकती हैं, जैसा आप संकल्‍प लेती हैं। 
महालक्ष्‍मी व्रत के लाभ क्‍या हैं? 
1- घर में धन और समृद्धि बनी रहती है।2- जीवन की कठिनाइयां और ऋण दूर होते हैं।3- परिवार में सुख और शांति आती है।4- व्यापार, नौकरी में वृद्धि और सफलता मिलती है।
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