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कार्तिक पूर्णिमा का 'महा-संयोग'! गंढ़ गंगा नदी में पितरों के नाम पर दीप दान करने की सही विधि और मुहूर्त जानें, मिलेगा अक्षय पुण्य

कार्तिक पूर्णिमा 2025 पर बन रहा है शिववास योग और सर्वार्थसिद्धि योग का महा संयोग। जानें गढ़ गंगा नदी में पितरों के नाम पर दीप दान करने की सही विधि, शुभ मुहूर्त और इसके धार्मिक व आध्यात्मिक लाभ। पाएं पूर्वजों का आशीर्वाद और अक्षय पुण्य।
Editorial
Updated:- 2025-11-04, 21:43 IST

कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में बहुत ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण बताया गया है। इस दिन गंगा नदी में स्‍नान करने का विधान है। इसलिए देश के कई गंगा घाटों में इस दिन मेले भी लगते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग गंगा नदी में केवल स्‍नान ही नहीं करते दीपदान भी करते हैं और यह दीपदान पितरों की शांति के लिए होता है। इस दान से पितरों की आत्‍मा को शांति मिलती है और जिन लोगों पर पितृ दोष होता है, उसका प्रभाव भी कम हो जाता है।

भारत में बहुत सारे लोकप्रिय गंगा घाट हैं, मगर इनमें से गढ़मुक्‍तेश्‍वर का बृज घाट कार्तिक पूर्णिमा के दिन पतिरों के नाम पर दीप दान करने के लिए बहुत ही लोकप्रिय है। दिल्‍ली से मात्र 1:30 घंटे की दूरी पर स्थित इस घाट पर आपको गढ़ गंगा मिलेंगी, जहां आप अपने पितरों के नाम पर दीप दान कर उनकी आत्‍मा को तृप्‍त कर सकते हैं। इसकी विधि और समय भी है, जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे।

कार्तिक पूर्णिमा पर बन रहा है यह महा संयोग

इस वर्ष पड़ रही कार्तिक पूर्णिमा को बहुत ही विशेष माना जा रहा है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिववास योग और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग भी रहेगा। छिंदवाड़ा निवासी पंडित सौरभ त्रिपाठी बताते हैं, "शिववास योग और सर्वार्थसिद्धि योग पितरों के लिए दीप दान के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं, खासकर यदि कार्तिक पूर्णिमा के दिन यह महा संयोग बन रहा हो तो पितरों के लिए दीप दान करने का यह सबसे अच्‍छा समय होता है। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है।"

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कार्तिक पूर्णिमा के दिन पितरों के लिए दीपदान का शुभ मुहूर्त

कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि के चंद्रोदय तक का समय अत्यंत शुभ होता है। विशेष रूप से संध्याकाल यानी सूर्यास्त के बाद और चंद्रमा के उदय से पहले तक दीपदान करना सबसे उत्तम माना गया है। इस दौरान गंगा, गोदावरी, नर्मदा या किसी भी पवित्र नदी या तालाब के तट पर दीपदान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। यदि यह संभव न हो, तो घर में पूर्वजों की स्मृति में दीप प्रज्वलित कर के भी श्रद्धा के साथ पूजा की जा सकती है।

शुभ मुहूर्त

शाम 5: 40 से 6: 55 तक आप अपने पितरों के नाम पर दीप दान कर सकते हैं। यह बहुत ही शुभ समय है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन पितरों के लिए दीपदान कैसे करें

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान करें। यदि संभव हो तो गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना उत्तम है।
  • स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें और अपने पितरों के नाम से दीपदान का संकल्प लें।
  • एक पीतल या मिट्टी के दीये में शुद्ध घी या तिल का तेल डालें और उसमें रुई की बत्ती लगाएं।
  • दीये को गंगा, नर्मदा या किसी जलाशय में प्रवाहित करें, या घर के आंगन में किसी स्वच्छ स्थान पर रखकर दीपदान करें।
  • दीपदान करते समय यह प्रार्थना करें “पितृदेवता प्रसन्न हों और हमारे कुल का कल्याण करें।”
  • दीपदान के बाद पितरों के नाम से किसी ब्राह्मण को दान करें या जरूरतमंदों को भोजन खिलाएं।

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इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली होता है। । यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्‍स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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