
कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन गंगा नदी में स्नान करने का विधान है। इसलिए देश के कई गंगा घाटों में इस दिन मेले भी लगते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन लोग गंगा नदी में केवल स्नान ही नहीं करते दीपदान भी करते हैं और यह दीपदान पितरों की शांति के लिए होता है। इस दान से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जिन लोगों पर पितृ दोष होता है, उसका प्रभाव भी कम हो जाता है।
भारत में बहुत सारे लोकप्रिय गंगा घाट हैं, मगर इनमें से गढ़मुक्तेश्वर का बृज घाट कार्तिक पूर्णिमा के दिन पतिरों के नाम पर दीप दान करने के लिए बहुत ही लोकप्रिय है। दिल्ली से मात्र 1:30 घंटे की दूरी पर स्थित इस घाट पर आपको गढ़ गंगा मिलेंगी, जहां आप अपने पितरों के नाम पर दीप दान कर उनकी आत्मा को तृप्त कर सकते हैं। इसकी विधि और समय भी है, जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे।
इस वर्ष पड़ रही कार्तिक पूर्णिमा को बहुत ही विशेष माना जा रहा है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन शिववास योग और सर्वार्थसिद्धि योग का संयोग भी रहेगा। छिंदवाड़ा निवासी पंडित सौरभ त्रिपाठी बताते हैं, "शिववास योग और सर्वार्थसिद्धि योग पितरों के लिए दीप दान के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं, खासकर यदि कार्तिक पूर्णिमा के दिन यह महा संयोग बन रहा हो तो पितरों के लिए दीप दान करने का यह सबसे अच्छा समय होता है। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और आपको अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।"
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कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से लेकर रात्रि के चंद्रोदय तक का समय अत्यंत शुभ होता है। विशेष रूप से संध्याकाल यानी सूर्यास्त के बाद और चंद्रमा के उदय से पहले तक दीपदान करना सबसे उत्तम माना गया है। इस दौरान गंगा, गोदावरी, नर्मदा या किसी भी पवित्र नदी या तालाब के तट पर दीपदान करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। यदि यह संभव न हो, तो घर में पूर्वजों की स्मृति में दीप प्रज्वलित कर के भी श्रद्धा के साथ पूजा की जा सकती है।
शाम 5: 40 से 6: 55 तक आप अपने पितरों के नाम पर दीप दान कर सकते हैं। यह बहुत ही शुभ समय है।
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इस प्रकार कार्तिक पूर्णिमा का यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत शक्तिशाली होता है। । यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इसे शेयर और लाइक करें। इसी तरह और भी आर्टिकल्स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
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