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Ganga River Facts: गंगा नदी पृथ्वी पर किस युग में आई थी? क्या कलयुग में खत्म हो जाएगा इसका अस्तित्व

हमारे देश में नदियों का इतिहास सदियों पुराना है और इनका जल जीवनयापन के लिए बहुत जरूरी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि नदियों में से सबसे ज्यादा पवित्र गंगा की अपनी अलग कहानी और इतिहास है जो इसे आज भी खास बनाता है।
Editorial
Updated:- 2025-05-22, 21:09 IST

हिंदू धर्म में गंगा नदी को सबसे पवित्र नदी का दर्जा दिया गया है। गंगा को हमेशा से ही देवी की तरह से पूजा जाता रहा है। पापों को धुलना हो या फिर घर का शुद्दिकरण, गंगाजल का इस्तेमाल सदियों से किया जाता रहा है। गंगा को देवी और माता की तरह से तो पूजा ही जाता है और ऐसा भी माना जाता है कि मृत्योपरांत गंगा के किनारे यदि दाह संस्कार किया जाता है तो व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा नदी की पवित्रता को देखते हुए मन में कई बार ये सवाल जरूर आता है कि आखिर इस नदी का उद्गम कहां से हुआ होगा? पवित्रता की मिसाल मानी जाने वाली और पूजनीय गंगा नदी का आगमन पृथ्वी पर किस योग में हुआ होगा? गंगा नदी को पृथ्वी पर कौन लेकर आया होगा और इस नदी से जुड़े रोचक तथ्य क्या हैं? जब हम गंगा नदी के इतिहास पर नजर डालते हैं तो इससे जुड़े अनगिनत तथ्य सामने आते हैं और उन्हीं तथ्यों की गहराई में जाकर यह भी पता चलता है कि कलयुग के एक निश्चित समय पर गंगा नदी भी सरस्वती की ही तरह विलुप्त हो जाएगी। आइए ज्योतिर्विद पंडित रमेश भोजराज द्विवेदी से जानें इस नदी से जुड़े कुछ अनसुने तथ्यों के बारे में।

गंगा का उद्गम स्थान क्या है?

origin of ganga

अगर हम भगौलिक दृष्टि से देखें तो गंगा नदी मोटे तौर पर भारत के उत्तराखंड राज्य के पश्चिमी हिमालय से आरंभ होती है और बंगाल की खाड़ी के सुंदरबन डेल्टा में जाती है। गंगा की जड़ें देवप्रयाग में अलकनंदा और भागीरथी के संगम पर निकलती हैं। इनमें से भागीरथी नदी एक हिमालयी नदी है जो उत्तराखंड राज्य से होकर गुजरती है। यह पवित्र गंगा नदी के दो मुख्य स्रोतों में से एक है। भागीरथी नदी को भी गंगा नदी का ही स्रोत माना जाता है।

यह उत्तराखंड के गौमुख से आती है, जो गंगोत्री और खातिलांग ग्लेशियरों के तल पर मौजूद है। गौमुख गंगोत्री से लगभग 18 किलोमीटर दूर है और इसे गंगा का जन्मस्थान माना जाता है। गंगोत्री में गंगा नदी का एक मंदिर गढ़वाल में छोटा चार धाम मंदिर के रूप में जाना जाता है। इस तरह से गंगा का उद्गम स्थान भागीरथी गौमुख को माना जाता है।

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भारत की सबसे लंबी नदी है गंगा

हिंदू धर्म के अनुसार, गंगा को दुनिया की सबसे लंबी पवित्र नदी माना जाता है और इसे देवी गंगा के रूप में पूजा जाता है। पाटलिपुत्र, इलाहाबाद, कन्नौज, मुर्शिदाबाद, कलकत्ता और कई प्रांतीय या शाही राजधानियां इस नदी के किनारों पर ही स्थित हैं। गंगा बेसिन लगभग 1,000,000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और दुनिया के सबसे बड़े लोगों के जमावड़े में से एक है। यह दो नदियों में विभाजित हो जाती है-पद्मा और हुगली।

पद्मा नदी बांग्लादेश से होकर बहती है और अंततः बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है। गंगा नदी भारतीय परंपरा, जीवन और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पहलू मानी जाती है। यह भारत की चार सबसे महत्वपूर्ण नदियों में से एक है। जिसमें सिंधु, ब्रह्मपुत्र, गंगा और गोदावरी शामिल हैं। जल निर्वहन के मामले में गंगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी नदी मानी जाती है। हिंदू परंपरा के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति काशी नगरी में मृत्यु को प्राप्त करता है और उसका अंतिम संस्कार इसी स्थान पर गंगा किनारे होता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गंगा नदी की पौराणिक कथा

ganga river in history

गंगा नदी शिव जी की जटाओं से निकलती है। ऐसा माना जाता है कि शिवलोक में गंगा नदी के रूप में सरोवर है। पौराणिक कथाओं की मानें तो इसे अमर लोक यानी सतलोक से शिव लोक में भेजा गया था। गंगा नदी अत्यंत स्वच्छ और पवित्र माना जाता है जो कभी भी खराब नहीं होता है।

एक सवाल यह भी उठता है कि गंगा नदी पृथ्वी पर कैसे आई? गंगा नदी के पृथ्वी आगमन की पौराणिक कथा के अनुसार यह गंगा नदी आज से लगभग 14 हजार साल पहले पृथ्वी पर आई। सदियों पहले राजा भगीरथ अपनी तपस्या से गंगा नदी को पृथ्वी पर लाए और भगवान शिव ने गंगा को धरती पर उतारने के लिए अपनी जटाओं में धारण किया।

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गंगा नदी की उत्पत्ति किस युग में हुई थी?

ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी को विष्णु पद भी कहा जाता है। जिसका तात्पर्य यह है कि यह विष्णु जी के चरणों से निकली हैं। इसकी कथा के अनुसार जब विष्णु जी ने वामन अवतार में राजा बलि से 3 पग जमीन मांगी तब उन्होंने दो पगों में ही सब कुछ नाप दिया। जब वामन अवतार में विष्णु जी ने ब्रह्मलोक को नापा तो उनके पग को पानी से धोकर इस जल को ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में रख लिया।

मान्यता है कि इसी दौरान भगीरथ का जन्म हुआ जो अपनी तपस्या से मां गंगा को धरती पर लाए और भगवान शिव की जटाओं में स्थान दिलाया। उस समय त्रेता योग चल रहा था, इसी वजह से आज भी माना जाता है कि गंगा की उत्पत्ति त्रेता युग में हुई थी।

क्या कलयुग में विलुप्त हो जाएगी गंगा नदी?

origin of river ganga

पौराणिक कथाओं की मानें तो एक बार गंगा और सरस्वती नदी के बीच विवाद हो गया और उनके विवाद को रोकने के लिए माता लक्ष्मी सामने आईं।

उसी समय सरस्वती रुष्ट हो गयीं और उन्हें वृक्ष और नदी के रूप में पृथ्वी पर पापियों का पाप स्वीकार करने का श्राप दे दिया। वहीं दूसरी तरफ गंगा और सरस्वती ने भी एक-दूसरे को नदी रूप में पृथ्वी पर रहने का अभिशाप दिया। उस समय भगवान विष्णु ने कहा कि जब कलयुग के 5,000 साल पूरे हो जाएंगे उस समय तीनों नदियां होने स्थानों पर लौट जाएंगी। शास्त्रों में भी इस बात का जिक्र किया गया है कि कलयुग में गंगा नदी भी सरस्वती की ही तरह विलुप्त हो जाएंगी और वापस स्वर्ग की ओर पलायन कर जाएंगी।

इस प्रकार गंगा का उद्गम सदियों पहले हुआ और आज भी इसका जल अपनी शुद्धता से हम सभी को पवित्र कर रहा है। आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। अपने विचार हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर भेजें।

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