सावन अमावस्या को हरियाली अमावास्या के नाम भी जाना जाता है। इस साल सावन की हरियाली अमावस्या 24 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है और साथ ही, इस दिन पितरों की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और दान करने से शुभ फल मिलते हैं और कुंडली में पितृ दोष कम होता है। हालांकि शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि हरियाली अमावस्या के दिन जहां एक ओर पितृ तर्पण करना पुण्यकर होता है तो वहीं, पितृ तर्पण का पूरा फल तभी मिलता है जब पितरों के लिए पूजा करते समय इस विशेष स्तोत्र का पाठ किया जाए। आइये जानते हैं इस स्तोत्र के बारे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ॥
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ॥
मन्वादीनां मुनीन्द्राणां सूर्याचन्द्रमसोस्तथा ।
तान् नमस्याम्यहं सर्वान् पितृनप्सूदधावपि ॥
नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येsहं कृताञ्जलि: ॥
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प्रजापते: कश्यपाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ॥
नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ॥
सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ॥
अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्नीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ॥
ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्निमूर्तय:।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ॥
तेभ्योsखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतमानस:।
नमो नमो नमस्ते मे प्रसीदन्तु स्वधाभुज: ॥
॥ इति पितृ स्त्रोत समाप्त ॥
पितृ दोष तब होता है जब हमारे पूर्वजों की आत्माओं को शांति नहीं मिलती या उनके कुछ अधूरे कर्म रह जाते हैं। यह दोष परिवार में कई तरह की परेशानियां ला सकता है जैसे शादी में रुकावट, संतान संबंधी समस्याएं, धन की कमी, बार-बार बीमारियां और परिवार में कलह। पितृ दोष निवारण स्तोत्र का पाठ करने से पितरों को शांति मिलती है जिससे वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और पितृ दोष के नकारात्मक प्रभाव कम होने लगते हैं।
जब पितर प्रसन्न होते हैं तो वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृ दोष निवारण स्तोत्र का नियमित पाठ करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है जिससे धन और समृद्धि में वृद्धि होती है। परिवार में शांति का वातावरण बना रहता है और अनावश्यक झगड़े या परेशानियां कम होती हैं।
जीवन में आने वाली कई बाधाएं पितृ दोष के कारण हो सकती हैं। जैसे कि काम में अड़चनें आना, बनते काम बिगड़ जाना, नौकरी या व्यापार में तरक्की न मिल पाना। पितृ दोष निवारण स्तोत्र का पाठ करने से ये बाधाएं दूर होती हैं और कार्यों में सफलता मिलने लगती है।
पितृ दोष के कारण परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य खराब रह सकता है या मानसिक अशांति बनी रह सकती है। इस स्तोत्र का पाठ करने से परिवार में सभी सदस्य स्वस्थ और प्रसन्न रहते हैं। यह नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और घर में शांति और सकारात्मकता लाता है।
हरियाली अमावस्या पर यह पाठ करने से हम अपने पितरों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। इससे उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर अपना आशीर्वाद देते हैं, जिससे वंशजों का जीवन सफल और खुशहाल बनता है।
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