बता दें कि भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को औगद्वादस के नाम से जाना जाता है। वहीं, ज्यादातर लोग बछबारस के नाम से भी जानते हैं। इसका एक और नाम है गोवत्स द्वादशी। इस साल यह 20 अगस्त, 2025 यानी बुधवार को मनाया जाएगा। ऐसे में जो महिलाएं इस दिन कथा पढ़ती हैं, ये लेख उनके लिए है। आपको औगद्वादस की कथा के बारे में पता होना जरूरी है। इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि वत्स द्वादस की कथा क्या है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक साहूकार रहता था, जिसके सात पुत्र और एक पोता था। उसकी स्त्री धर्म कर्म को बेहद मानती थी। उसके पास एक गाय और बछड़ा भी था, जिसका वे बेहद ध्यान रखती थी। एक का नाम धान और दूसरे का नाम धानड़े था। ऐसे में एक बार स्त्री कहीं बाहर जा रही थी तो वह अपनी बहू से बोलकर गई कि मैं काम से कुछ दिनों के लिए बाहर जा रही हूं, तुम धान-धानड़े का ध्यान रखें। बहू ने हां कर दिया।
एक बार जब बहू काम में व्यस्त थी तब पीछे से गाय का बछड़ा निकल गया। बहू को लगा कि वह गाय के साथ गया होगा और उसके साथ ही वापस आ जाएगा, परंतु वह गाय के साथ वापस नहीं आया। बहू ने बहुत ढूंढा परंतु उसका कुछ पता नहीं चला।
बछड़ा लापता हो गया। ऐसे में गाय ने भी दुखी होकर घर छोड़ दिया और वहां से चली गई। जब सांस वापस आई और पूछा कि दोनों कहां है तो बहू ने सारी बात बता दी। सास को बेहद दुख हुआ। उसने बहु को खूब बुरा भला कहा। फिर समय बीता और साहूकार के घर परिवार में समस्याएं आने लगीं। उसके घर में कुएं, तालाब सूखने लगे। यह सब देखकर साहूकार की पत्नी ने सभी चीजों के लिए बहू को जिम्मेदार ठहराया।
इसे भी पढ़ें - Shradh 2025: कब से शुरू हो रहा है पितृपक्ष? एक क्लिक में जानें श्राद्ध की सभी तिथियों के बारे में
तब बहू अपने उसे घर को छोड़कर अपने पिता के घर चली गई। फिर साहूकार किसी पंडित के पास गया और समस्या का निवारण पूछा। पंडित ने कहा कि तुम्हारे परिवार की वजह से गाय ने अपना बछड़ा खो दिया, इस कारण ऐसा हो रहा है। अब तुम चिंता मत करो, कुछ उपाय समस्या दूर करेंगे। तुम्हें एक यज्ञ करना होगा, जिसमें तुम्हें अपने इकलौते पोते की बली देनी होगी। यह सुनकर साहूकार को बेहद दुख हुआ। उसने यज्ञ आरंभ किया।
अंत में पोते की बली दे दी। पोते की बलि देते ही कुएं भर गए, हरियाली आ गई। अब सांस ने अपनी बहू को भी बुला लिया। जब बहू वापस आई तो उसने तालाब पर पानी देखा। वो बहुत खुश हुई।
फिर उसने अपने बेटे से विषय में पूछा तो सास ने कहा कि कहीं खेल रहा होगा। बहू ने अपने बेटे का नाम लेकर जोर से आवाज लगाई तो चमत्कार हो गया। तालाब में से बेटा और गाय का बछड़ा बाहर आ गए। बछड़े ने जब अपनी मां को पुकारा तो गाय भी लौट आई।
ये देखकर सास बहू आश्चर्यचकित रह गए। तब सास ने बहू को पोते की बली की कहानी सुनाई। फिर बहू से कहा कि, ये सब तेरे भाग्य से हुआ है। मुझे क्षमा कर दे। तब बहू ने कहा कि ये सब औगद्वादस माता की कृपा है। यह उन्हीं का आशीर्वाद है जो मेरा पुत्र मुझे मिला है। तभी से ये दिन पुत्रवती महिलाओं के लिए महत्व रखता है।
इसे भी पढ़ें - Aja Ekadashi Puja Vidhi 2025: अजा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की इस विधि से करें पूजा, जानें सामग्री की पूरी लिस्ट
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो वो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं और अपना फीडबैक भी शेयर कर सकते हैं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- Freepik
यह विडियो भी देखें
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।