
दिसंबर का महीना हिन्दू धर्म में विभिन्न व्रतों और त्योहारों का समय होता है। इस महीने विशेष रूप से कई महत्वपूर्ण धार्मिक तिथियां और उत्सव आते हैं, जो न केवल आध्यात्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि समाज और परिवार में खुशियां और समृद्धि भी लाते हैं। इस लेख में हम दिसंबर 2024 में आने वाले प्रमुख व्रतों और त्योहारों की एक विस्तृत सूची प्रस्तुत कर रहे हैं, जो आपको इस महीने के धार्मिक आयोजनों को समझने में मदद करेगी।
मार्गशीर्ष माह की अमावस्या को विशेष रूप से शांति और पाप नाशक व्रत माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से पितरों की पूजा और तर्पण किया जाता है। विशेषकर इस दिन, श्रद्धालु अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करते हैं।

विवाह पंचमी श्रीराम और माता सीता के विवाह के अवसर पर मनाई जाती है। यह दिन विशेष रूप से राम भक्तों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन विभिन्न मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना और महोत्सव आयोजित होते हैं। इस दिन विशेष रूप से विवाह योग्य युवक-युवतियां विवाह जीवन में बंधने के लिए उत्साहित रहते हैं।
शुभ मुहूर्त- 6 दिसंबर 2024 को सुबह 6:30 बजे से शाम 5:45 बजे तक
चम्पा षष्ठी का व्रत विशेष रूप से छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में मनाया जाता है। इस पर्व पर विशेष रूप से मां दुर्गा और भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस दिन, महिलाएं अपने घर की सुख-समृद्धि और परिवार की सुरक्षा के लिए विशेष पूजा करती हैं। चम्पा षष्ठी का व्रत एक प्रकार से सुख-शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
भानु सप्तमी पर सूर्य देव की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त किया जाता है। लोग सूर्य देव की उपासना करके अपने जीवन से सभी दुखों को समाप्त करने की कामना करते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए होता है, जिनका सूर्य ग्रह कमजोर होता है। इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन और स्नान करने का महत्व है, ताकि शरीर और मन को शुद्ध किया जा सके।

मोक्षदा एकादशी का व्रत विशेष रूप से पाप नाशक होता है। इस दिन विशेष रूप से श्रीराम के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है। गीता जयंती भी इसी दिन मनाई जाती है, जब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का उपदेश दिया था। इस दिन व्रत रहते हैं और भगवान के मंत्रों का जाप करते हैं।
गीता पूजा और जाप के लिए शुभ समय:
6:00 AM से 7:00 AM
12:00 PM से 1:00 PM
4:30 PM से 5:30 PM
इस दिन पूर्णिमा होने के कारण, इसे विशेष रूप से चंद्र पूजा के रूप में मनाया जाता है। चंद्र ग्रह की शांति के लिए इस दिन पूजा या उपाय किए जाते है। इस दिन चंद्रमा के दर्शन और चंद्रमा की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अन्नपूर्णा जयंती मां अन्नपूर्णा के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से अन्न का पूजन और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है, ताकि घर में समृद्धि और आन्न की कोई कमी न हो।
अन्नपूर्णा जयंती पूजा का समय:
7:00 AM से 9:00 AM
12:00 PM से 1:00 PM
5:00 PM से 6:00 PM
इस वर्ष दिसंबर माह हिन्दू धर्म में विशेष धार्मिक महत्व रखता है और इस महीने के व्रतों और त्योहारों से आत्मिक शांति, समृद्धि, और खुशहाली की प्राप्ति होती है। विवाह पंचमी से लेकर सफला एकादशी तक के व्रत न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि समाज और परिवार के लिए भी एक सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
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