आषाढ़ अमावस्या का दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस दिन पितरों को तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार पर उनका आशीर्वाद बना रहता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितृगण अपने वंशजों द्वारा किए गए तर्पण को स्वीकार करते हैं, जिससे वे तृप्त होते हैं। आपको बता दें, सभी अमावस्या तिथियों में आषाढ़ मास की अमावस्या का अपना एक विशेष महत्व है। इसे हलहारिणी अमावस्या या हलहारिणी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। अब ऐसे में इस दिन कुछ ऐसे उपाय हैं। जिसे करने से पितरों की कृपा प्राप्त हो सकती है। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
आषाढ़ अमावस्या पर पितरों को प्रसन्न करने का सबसे महत्वपूर्ण उपाय तर्पण और श्राद्ध कर्म करना है। किसी योग्य ब्राह्मण की सहायता से या स्वयं ही दक्षिण दिशा की ओर मुख करके अपने पितरों के निमित्त जल में काले तिल मिलाकर तर्पण करें। इसके बाद, श्राद्ध कर्म करें जिसमें पितरों के लिए भोजन बनाकर उन्हें अर्पित किया जाता है। यदि संभव हो, तो किसी गरीब या ब्राह्मण को भोजन कराएं। यह क्रिया पितरों को तृप्ति देती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पीपल के पेड़ को हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे भगवान विष्णु का स्वरूप भी कहते हैं। आषाढ़ अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और दीपक प्रज्वलित करें। मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर पितरों का वास होता है। जल अर्पित करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और दीपक जलाने से अंधकार दूर होता है, जिससे उन्हें मुक्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। पीपल की 7 परिक्रमा करना भी शुभ माना जाता है।
आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों को आटा खिलाना बेहद पुण्यकारी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितरों को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे शुभ उपाय है। चींटियों को भोजन कराने से पितरों को तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होते हैं।
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गाय को हिन्दू धर्म में माता का स्थान दिया गया है। आषाढ़ अमावस्या के दिन गाय को हरा चारा या रोटी खिलाना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि गाय में सभी देवी-देवताओं का वास होता है और उन्हें भोजन कराने से पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। यह उपाय पितृ दोष को कम करने में भी सहायक माना जाता है।
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Image Credit- HerZindagi
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