8 सितंबर 2025 का दिन पंचांग के अनुसार पितृपक्ष का दूसरा दिन है। यह दिन धार्मिक दृष्टि से श्राद्ध और तर्पण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन प्रतिपदा और द्वितीया तिथि का संयोग रहेगा। ज्योतिष के अनुसार, सोमवार का दिन होने से इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस दिन सूर्योदय के साथ ही पितरों को जल और भोजन अर्पित करने का विधान है। यह दिन उन पितरों का श्राद्ध करने के लिए भी शुभ माना जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की प्रतिपदा या द्वितीया तिथि को हुई हो। यह एक ऐसा दिन है, जब आप अपने पूर्वजों को सम्मान देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इसके अलावा, एमपी, छिंदवाड़ा के पंडित सौरभ त्रिपाठी ने बताया अगर आप आज के दिन जमीन बेचना चाहते हैं तो उसमें लाभ हो सकता है, लेकिन आज का पंचांग देख लें और शुभ मुहूर्त के अनुसार ही डील करें।
तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
आश्विन कृष्ण प्रतिपदा | पूर्वा भाद्रपद | सोमवार | धृति/शूल | बालव |
प्रहर | समय |
सूर्योदय | सुबह 06:03 बजे |
सूर्यास्त | शाम 06:34 बजे |
चंद्रोदय | शाम 06:36 बजे |
चंद्रास्त | सुबह 9:00 बजे |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:31 बजे से सुबह 05:17 बजे तक |
अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:53 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक |
अमृत काल | दोपहर 12:35 बजे से दोपहर 02:04 बजे तक |
मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
राहु काल | सुबह 07:37 बजे से 09:11 बजे तक |
गुलिक काल | दोपहर 01:52 बजे से दोपहर 03:26 बजे तक |
यमगंड | सुबह 9:19 बजे से सुबह 10:54 बजे तक |
दुर्मुहूर्त | सुबह 10:45 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक |
8 सितंबर 2025 का दिन मुख्य रूप से धार्मिक अनुष्ठानों और पितरों को याद करने के लिए समर्पित है। इस दिन कोई बड़ा राष्ट्रीय या धार्मिक त्यौहार नहीं मनाया जाता है, क्योंकि यह पितृपक्ष का दूसरा दिन है। इस दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है, जिनका देहावसान किसी भी महीने की प्रतिपदा तिथि को हुआ हो।
यह पूरा 16 दिन का पितृपक्ष काल होता है, जो केवल पितरों की पूजा और श्राद्ध के लिए होता है। इस अवधि में लोग किसी भी तरह के शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश या नया काम शुरू करने से बचते हैं। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखा जाता है और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। यह दिन पूरी तरह से अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान और कृतज्ञता व्यक्त करने का है।
इस दिन का सबसे महत्वपूर्ण उपाय पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करना है। अगर आप विधि-विधान से श्राद्ध नहीं कर सकते हैं, तो एक सरल उपाय करें: दक्षिण दिशा की ओर मुख करके एक लोटे में जल लें और उसमें काले तिल मिलाएं। अपने पितरों का ध्यान करते हुए उस जल को धीरे-धीरे धरती पर गिराएं। इसके बाद, किसी गरीब या भूखे व्यक्ति को भोजन कराएं और उनके नाम पर दान करें। ऐसा करने से पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।
चूंकि यह दिन सोमवार भी है, जो भगवान शिव को समर्पित है इसलिए आप उनकी कृपा पाने के लिए भी उपाय कर सकते हैं। सुबह स्नान के बाद पास के किसी शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर जल और कच्चा दूध अर्पित करें। भगवान शिव से अपने पितरों की शांति और परिवार के कल्याण की प्रार्थना करें। इस उपाय से मन को शांति मिलती है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।
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