21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में तो नहीं दिखेगा, मगर ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष माना जा रहा है। इस ग्रहण का असर उन राशियों पर सबसे ज्यादा होगा, जिन पर पहले से ही 'शनि की साढ़ेसाती' चल रही है। खासतौर पर कुंभ राशि के जातकों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यह 'शनि की साढ़ेसाती' का तीसरा यानी आखिरी चरण है और इस चरण में शनि देव कर्मों का फल देते हैं। आपके कर्म अच्छे होंगे तो आपके साथ अच्छा होगा और बुरे कर्म वालों के लिए यह चरण सबसे ज्यादा कठिन साबित हो सकता है। इसलिए ग्रहण के दौरान उन्हें सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए।
इस विषय में पंडित सौरभ त्रिपाठी से बातचीत हुई, तो उन्होंने बताया -
"यदि राशि में शनि की साढ़ेसाती चल रही हो और सूर्य ग्रहण पड़ जाए, तो यह सबसे बड़ी चिंता की बात होती है। सूर्य और शनि का घनिष्ठ संबंध है। हालांकि दोनों ग्रह एक-दूसरे के पूरक हैं, लेकिन यदि एक के साथ कुछ विपरीत होता है तो उसका असर दोनों पर पड़ता है।"
आपको बता दें कि कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि है। ऐसे में ग्रहण का असर कुंभ राशि पर दोगुना हो सकता है। ऐसा संभव है कि या तो कुंभ राशि के जातकों के साथ सबकुछ बहुत अच्छा हो जाए या फिर बहुत विपरीत।
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