हिंदू धर्म में गौदान को अत्यंत पुण्यदायी और महत्वपूर्ण कर्म माना गया है। गौ को माता के रूप में पूजनीय माना जाता है, और उसका दान करना सर्वोच्च धर्म कार्यों में से एक है। ऐसे में आइए जानें ज्योतिषाचार्य डॉ. राधाकांत वत्स से कि गौदान का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से क्या महत्व है।
गौ माता का स्थान देवी के समान
हिन्दू धर्म में गाय को माता कहा गया है क्योंकि वह मनुष्य को दूध देती है और अनेक प्रकार से पालन-पोषण करती है। शास्त्रों में गाय को सभी देवताओं का निवास स्थान माना गया है।
पुण्य की प्राप्ति
शास्त्रों के अनुसार गौ दान करने से व्यक्ति को अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है, जो जन्म-जन्मांतर के पापों को भी दूर कर सकता है।
शुक्र या चंद्रमा से संबंधित दोष
कहा जाता है कि किसी की कुंडली में यदि पितृ दोष, शुक्र या चंद्रमा से संबंधित दोष हों, तो गौ दान करने से लाभ होता है।
काली गाय का दान
माना जाता है कि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही होती है, तब काली गाय का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
कुंडली में मंगल दोष
ऐसा माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो और जीवन में लगातार तनाव, कलह या उथल-पुथल बनी हुई हो, तो गौ दान करना अत्यंत फलदायी होता है।
शुभ फल की प्राप्ति
गौ दान करने से पितृ अत्यंत प्रसन्न होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे व्यक्ति के पूर्वज आशीर्वाद स्वरूप उसकी संतानों और परिवार पर सदैव कृपा बनाए रखते हैं।
अक्षय पुण्य की प्राप्ति
ऐसा माना जाता है कि गौ सेवा अथवा गौ दान से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह न केवल इस जन्म में, बल्कि आने वाले जन्मों में भी शुभ फल प्रदान करता है।
गौ सेवा अथवा गौ दान से व्यक्ति को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यह न केवल इस जन्म में, बल्कि आने वाले जन्मों में भी शुभ फल प्रदान करता है। इस तरह की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें herzindagi.com