हंसिका की शादी किसी सपने से कम नहीं थी। अचानक एक दिन ऑनलाइन मैट्रिमोनियल एप पर उसे वरुण की प्रोफाइल दिख गई और फिर उसे रिक्वेस्ट भेज दी। दो महीने एक दूसरे को जानने-पहचानने में निकले और हंसिका खुश हो गई। माता-पिता मिले और शादी भी फिक्स हो गई। शादी की तैयारियों के बीच हंसिका की कभी-कभार अपनी सास से बात हुई थी। मालती जी अच्छी तो थीं, लेकिन हंसिका से बात करते समय हमेशा जल्दी में रहती थीं। मालती जी के रूप में हंसिका को सास की झलक कम और एक हेडमास्टर की झलक ज्यादा दिखती थी। हमेशा सधी हुई बात करके मालती फोन रख देती थीं। हंसिका ने शादी से पहले वरुण से इसके बारे में जिक्र जरूर किया था, लेकिन वरुण सिर्फ यही कहकर टाल देता कि जब घर पर आओगी, तो सब समझ जाओगी।
वरुण की मानें, तो उसकी मां का कैरेक्टर बहुत यूनिक था। हंसिका के मन में पहले से ही डर था कि उसकी सास कहीं फिल्मी ललिता पवार जैसी ना हो। वह अपनी जिंदगी 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' कि तुलसी वीरानी की तरह नहीं बिता सकती थी। पर वरुण से बातों में वह इतना खो जाती थी कि किसी और बात का ध्यान ही नहीं रहता था। हंसिका को लगने लगा था कि वरुण अब उसकी जिंदगी है और उसके साथ जो भी आएगा वह उसे खुशी-खुशी स्वीकार करेगी। पर अपनी सास को लेकर फिर भी मन में संकोच रहता ही था।
वरुण के अलावा, उसके ससुराल में मालती जी ही थीं। ननद की शादी पहले ही हो चुकी थी और वह पूना में सेटल थी। ससुर जी के स्वर्गवास के बाद वरुण और मालती जी साथ रहते थे। धीरे-धीरे शादी का दिन भी आ गया। शादी वाले दिन ननद और बाकी रिश्तेदार मालती जी को घेरे हुए ठहाका लगा रहे थे। मानो हंसिका पर किसी का ध्यान ही नहीं था। हंसिका को थोड़ा बुरा लगा, लेकिन यह उसकी घबराहट भी हो सकती थी। फेरों के वक्त उसे अच्छा लगा और विदाई भी हो गई।
घर पर आने के बाद हंसिका एक कमरे में ही बंद थी, कभी-कभार कोई आकर उसकी तरफ देख जाता, हाल चाल पूछ जाता, बाकी बाहर ही हंसी-ठिठोली हो रही थी।
शादी के पहले ही दिन हंसिका को अकेला लगने लगा था। उसे लगा कि उसकी सास उसके ऊपर ध्यान नहीं देगी। एक पल में ही उसने सब सोच लिया कि अचानक मालती जी कमरे में आ गईं, 'सुनो तुम कोई अच्छी सी साड़ी पहन कर तैयार हो जाओ। तुम्हारी मुंह दिखाई होनी है। अच्छे से तैयार होना, एकदम कैटरीना कैफ लगना।' मालती ने कहा।
हंसिका यह सुनकर थोड़ा चौंक गई। 'कैटरीना कैफ?? यहां सुबह से बोर होते होते बिल्ली जैसी शक्ल हो गई है और इनको कैट चाहिए।' हंसिका ने मन ही मन कहा। फिर भी सास का हुकुम था और पहला ही दिन था, तो हंसिका हाथ मुंह धोकर तैयार होने लगी। तब तक कोई आंटी खाना देने आ गई। 'चलो कम से कम आज उपवास नहीं रखवाया', हंसिका ने बुदबुदाया।
खाना खाकर वह तैयार हो गई। सास के हुकुम के मुताबिक एकदम चटक लाल रंग की साड़ी पहन कर, गहनों से सजकर खड़ी थी हंसिका। कद-काठी ना सही, लेकिन शक्ल से हंसिका भी कैटरीना कैफ से कम नहीं लगती थी। उसकी सुंदरता उसके सौम्य चेहरे में थी।
हंसिका की सास ने पूरी सोसाइटी को न्योता दे दिया था। अब हो भी क्यों ना, वरुण एकलौता लड़का जो था। एक फ्लैट में इतने लोग कैसे आ गए थे, हंसिका को तो सफोकेशन होने लगा था। इतने में मालती जी भी कमरे से बाहर आ गईं। उन्हें देखकर समझ आ गया था कि उन्होंने हंसिका को क्यों कैटरीना कैफ बनने को कहा था। क्योंकि वो खुद रेखा से कम नहीं लग रही थीं। कांजीवरम सिल्क की साड़ी पहन कर मालती जी बालों में गजरा लगाए सुर्ख लाल लिपस्टिक के साथ वहीं खड़ी थीं।
हंसिका को लगा मानों मालती जी की मुंह दिखाई हो। "अरे मालती इतनी रूखी-सूखी मुंह दिखाई करवाओगी क्या? ऐसे कैसे चलेगा?', एक आंटी ने मालती से कहा। 'अरे तुम गाने वगैरह लगाओ, फिर देखो।' हंसिका सोच ही रही थी कि मुंह दिखाई में रंग कैसे जमेगा कि टीवी पर बिपाशा ने जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया, 'बीड़ी जलइले... जिगर से पिया...', हंसिका संभल पाए इससे पहले मालती जी ने ही डांस करना शुरू कर दिया। अपनी सास को इस अंदाज में देखकर हंसिका के तो होश ही उड़ गए थे।
कांजीवरम साड़ी में गजरा लगा कर मालती जी डांस कर रही थीं और मोहल्ले की सारी आंटियां तालियां बजा रही थीं।
हंसिका की मुंह दिखाई है या कुछ और, हाय रे बेचारी, सारा ध्यान सिर्फ मालती जी पर ही है। हंसिका की लाइमलाइट तो किसी और पर चमक रही है। सास अकड़ू हो तो बात अलग है, लेकिन हंसिका की सास तो फिल्मी निकली।
इसके बाद हंसिका से ऐसी फरमाइश की गई कि उसके तो होश ही उड़ गए। ये कैसे ससुराल में आ गई थी हंसिका? मालती जी ने आखिर ऐसी क्या फरमाइश की थी? यह जानने के लिए पढ़ें कहानी का अगला भाग... मेरी फिल्मी सास।
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