हालांकि,असल जिंदगी ड्रामा से परे होती है। असल जिंदगी आसान भी हो सकती है, असल जिंदगी में प्यार भी हो सकता है। यही मानना है, 30 साल की महविश रज़वी का, जो अपने पति शिवा तिवारी के साथ हंसी-खुशी एक नई जिंदगी की शुरुआत कर चुकी हैं। लेकिन, भारत में सिर्फ प्यार काफी नहीं होता ना, हमें धर्म और जाति देखकर ही शादी करनी चाहिए। तभी तो खुशहाल जिंदगी जी रही महविश को नसीहत देने वालों की कमी नहीं है। कुछ तो ऐसी बातें बोलते हैं जिन्हें सोचकर भी घिन आ जाए।
महविश अपनी शादी के दिन को याद करते हुए आज भी खुशी और डर दोनों महसूस करती हैं। महविश को अपनी ही शादी में नकाब पहनकर चोरों की तरह छुपते-छुपाते जाना पड़ा था। जहां हमारे समाज में शादी तय होने पर पूरी दुनिया के रिश्तेदारों को खबर कर दी जाती है, वहीं महविश की शादी पर उन्हें अपने विटनेस के अलावा किसी को भी बताने में डर लग रहा था। साधारण कपड़ों में मुंह पर मास्क लगाए महविश कोर्ट पहुंची और शिवा से शादी कर ली। ‘प्यार किया तो डरना क्या’ न-न , भारत में प्यार किया, तो डरना भी जरूरी है। ना जाने कितनी लव स्टोरीज भारत में जाति, धर्म और ऊंच-नीच की दुविधा में ही फंसकर रह जाती हैं।
लोग कहते हैं कि इन रिश्तों से धर्म को खतरा होता है, लेकिन यह तय करने वाले वे कौन होते हैं कि धर्म को किस तरह से खतरा है और किससे नहीं? साल 2018 का लोक फाउंडेशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी सर्वे (Lok Foundation-Oxford University survey)बताता है कि आज भी 93% भारतीय शादी करने से पहले धर्म और जाति जरूर देखते हैं।
“अरे सुना... शर्मा जी की बेटी ने दूसरे धर्म के लड़के से शादी कर ली…” भारत में यह वाक्य किसी डायनामाइट से कम नहीं है । गली-मोहल्ले की गॉसिप और सोशल मीडिया के ट्रोल्स से लेकर इंटर रिलीजन मैरिज की बातें नेशनल टीवी तक भी पहुंच जाती हैं। भारत में आज भी इंटर कास्ट मैरिज को खराब माना जाता है। ऐसी स्थिति में इंटर रिलीजन मैरिज के बारे में कल्पना करना भी बड़ी बात है।। जब सोनाक्षी सिन्हा और जहीर इकबाल की शादी हुई, तो सोशल मीडिया पर कुछ इस तरह की जंग छिड़ गई कि मानो बस इसी शादी से वर्ल्ड वॉर थ्री शुरू होने जा रही है। लोग कमेंट बॉक्स में श्रद्धा वाल्कर जैसे मामले लिखने लगे। आपको याद होगा कि श्रद्धा के साथ हुआ क्राइम कितना भयावह था। श्रद्धा के बॉयफ्रेंड ने उनके शरीर के टुकड़े कर दिए थे। सोनाक्षी के मामले में आए कुछ कमेंट्स तो इतने गंदे थे कि वे सभ्य समाज के लिए किसी कालिख से कम नहीं थे।
भारत में आमतौर पर शादी तय करते वक्त यह नहीं देखा जाता है कि दो लोगों की कम्पैटिबिलिटी कैसी होगी, बल्कि इस पर पूरा जोर होता है कि शादी करने वाले जोड़े का धर्म क्या है। प्यू रिसर्च (pewresearch) की एक रिपोर्ट बताती है कि भारत के 99% लोग अपने धर्म में ही शादी करते हैं।
"वो सबसे डरावने एक्सपीरियंस में से एक था जब हम अपना चेहरा छुपाकर कोर्ट जा रहे थे। हालांकि, उसके बाद शिवा का साथ जिंदगी को हसीन बनाने के लिए काफी है।” अपनी शादी को याद करते हुए महविश कुछ ऐसा कहती हैं। शिवा और महविश के घर वाले उनसे बात नहीं करते, शादी से पहले दोनों ने 4 साल तक घर वालों को मनाने की कोशिश की थी। महविश और शिवा 11वीं क्लास में एक-दूसरे से मिले थे। दोनों की कहानी की शुरुआत भी दोस्ती से हुई थी। महविश अपने घर में एब्यूसिव पेरेंट्स से परेशान रहती थीं और उन्हें शिवा में एक दोस्त दिखा।
महविश को लगा कि वह इस लड़के के साथ जिंदगी बिता सकती हैं और उन्होंने शिवा को प्रपोज कर दिया। हालांकि, शिवा ने 3 साल तक इसे एक्सेप्ट नहीं किया, क्योंकि वो तब अपने कैरियर पर फोकस करना चाहते थे।
आखिर में शिवा मान गए। इस जोड़े की जिंदगी में भी मुश्किलें आईं। परिवार वालों को बताने के बाद सबका विरोध भी उन्हें झेलना पड़ा। महविश के माता-पिता का कहना था कि लड़के को अपना धर्म बदलना पड़ेगा। शिवा के परिवार वाले समाज की दुहाई दे रहे थे। दोनों ने 4 साल तक अपने माता-पिता को मनाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माने।
साल 2020 में दोनों ने छुपकर शादी कर ली और दोनों ने साल भर तक अपनी शादी के बारे में किसी को नहीं बताया। उन्होंनेकोर्ट मैरिज की। शादी के बारे में विटनेस के अलावा, किसी को कानों-कान खबर नहीं थी। एक साल बाद घर पर पता चला और तब से ही दोनों परिवार के सपोर्ट के बिना रह रहे हैं।
गोवा में डेस्टिनेशन वेडिंग करने का ख्याल तो सभी को आता होगा, लेकिन मेघा चौधरी के लिए यह सपना नहीं हकीकत थी। गोवा में रहना और फिर शादी करना, उनके लिए किसी सपने से कम नहीं था। साल 2018 में मुंबई में एमबीए की पढ़ाई करते हुए मेघा और नावेद की मुलाकात हुई। मेघा जमशेदपुर से हैं और नावेद थाणे, मुंबई से। दोनों अब गोवा में ही रहते हैं। समय के साथ दोनों एक-दूसरे के करीब तो आ गए थे, लेकिन दोनों ने ही अपनी फीलिंग्स किसी से शेयर नहीं की थी। दोनों मन ही मन एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे। इसी बीच कोविड आ गया। कोविड के एकांत में मेघा को समझ आया कि उन्हें नावेद से प्यार हो गया है।
अपनी शादी को याद करते हुए मेघा कहती हैं, "पिंक लहंगे में मैं थी और सफेद शेरवानी में वो। हमने अपनी शादी खुद फाइनेंस की थी। गोवा के जिस घर में हम रहते थे उसकी बालकनी में ही शादी की थी। वह बहुत ही खूबसूरत पल था जिसकी कल्पना शायद पहले नहीं की थी। उसके कुल पांच रिश्तेदार शामिल थे और बाकी दोस्त। मेरी तरफ से कोई नहीं आया था। कन्यादान भी एक दोस्त ने किया और भाई की सारी रस्में भी एक दोस्त ने निभाईं। एक सीनियर ने मां की तरह रस्में कीं। उस वक्त सभी रो रहे थे, पर सब बहुत खुश थे।"
मेघा के परिवार वाले आज भी मेघा से बात नहीं करते हैं।
सुक्रीत गुप्ता रॉक क्लाइंबर और एडवेंचर फिल्ममेकर हैं। उन्होंने सोनम गोगिया को प्रपोज करने का तरीका भी कुछ अलग चुना। उन्होंने सोनम को 150 फिट की चट्टान चढ़ने के लिए इन्वाइट किया। उस चट्टान के पास ही एक झरना था। दोनों ने रॉक क्लाइंबिंग शुरू की और ऊपर जाकर सुक्रीत ने सोनम को प्रपोज कर दिया। आखिर, सोनम को ‘हां’ करनी ही थी।
सोनम क्रिश्चियन और सिख बैकग्राउंड से हैं और उनके कुछ रिश्तेदार मुस्लिम भी हैं। सुक्रीत हिंदू हैं और उन दोनों के ही परिवार वालों को इस शादी से कोई आपत्ति नहीं थी। जून 2024 में दोनों की शादी हुई और तीन दिनों में चार धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई) के हिसाब से शादी हुई।
सुक्रीत के पिता का यही फैसला था कि भारत के चारो धर्मों के रीति-रिवाजों को मिलाकर शादी की जाए, जिससे सामाजिक एकता की मिसाल कायम हो। उनका वेडिंग कार्ड भी एक कॉमिक बुक की तरह था, जिसमें कुल्लू के जानवरों के लिए फंड्स इकट्ठा किए गए।
मौमिता और जयान की शादी कोलकता में हुई और कोर्ट मैरिज के बाद दो अलग-अलग धार्मिक रिवाज भी हुए। एक कोलकता में और एक पुणे में। शादी करवाने के लिए जो पंडित आए थे वे भी इस शादी के लिए आसानी से मान गए, हां, मौमिता की शादी में ज्यादा मंत्र नहीं पढ़े गए थे।
मौमिता कहती हैं कि जिस समय तक शादी का फैसला लिया तब तक रिलेशनशिप में कोई भी तकलीफ नहीं हुई। जिस तरह हर रिश्ते में लड़ाई होती है, वैसे ही मौमिता के साथ भी हुआ, लेकिन कभी धर्म को लेकर झगड़ा नहीं हुआ। जब समझ आया कि दोनों को एक-दूसरे से शादी करनी है, तब घर पर बताया गया। मौमिता की मां इस बात से खुश नहीं थीं। उन्होंने समझाने की कोशिश की कि धर्म का अलग होना जिंदगी पर क्या असर डाल सकता है। हालांकि, मौमिता का कहना था कि उनके हिसाब से धर्म कभी प्यार के आड़े नहीं आ सकता।
जयान के माता-पिता को इस रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं थी। कुछ साल लगे, लेकिन मौमिता की मां भी मान गईं और अब वह जयान को बहुत पसंद करती हैं।
ये और ऐसी कई कहानियां बताती हैं कि इंटर कास्ट और इंटर रिलीजन मैरिज भारत में किस तरह देखी जाती है। हालांकि, जिस तरह से किसी पेंटर के हाथ में यह होता है कि वह अपनी पेंटिंग में दुनिया के रंग भरता है या उसे बेरंग बनाता है, उसी तरह से इंटर रिलीजन मैरिज का एक पहलु और भी है। एक पहलु, जिसे नेशनल मीडिया से दूर ही रखा जाता है, एक पहलु जिसे लोग धर्म पर खतरा बता देते हैं, लेकिन भला प्यार करना खतरा कैसे हो सकता है?
महविश का कहना है कि वह सभी रोजे रखती हैं और जब शाम तक वह थक जाती है , तो शिवा इफ्तार बनाते हैं। ऐसे ही नवरात्रि के उपवास शिवा रखते हैं, लेकिन अगर हेल्थ के कारण वह ना रख पाएं, तो वह उपवास भी महविश रख लेती हैं, क्योंकि वह उनका घर है। शिवा हर मामले में महविश के साथ हैं और महविश भी हर कदम पर उनका साथ देती हैं।
ये दोनों अपने ही नहीं, दूसरे धर्मों के त्योहार भी मनाते हैं। होली, दिवाली, ईद, रमजान, लोहड़ी और क्रिसमस सब कुछ इनके घर में मनाया जाता है।
मेघना नटराजन अहमद और उनके पति आमिर अहमद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। मेघना कहती हैं कि आमिर कुछ हद तक धार्मिक हैं, लेकिन ये कभी हमारे बीच में नहीं आया। रमजान के दौरान मैं भी आमिर साथ रोजा रखती हूं और ईद भी मनाती हूं। दिवाली और तमिल न्यू ईयर पर मेरा परिवार उसे तोहफे देता है। हम इसे सिंपल रखते हैं। हम एक-दूसरे के त्योहार मनाते हैं।
मेघा और नावेद के घर में भी कुछ ऐसा ही हाल है। दोनों एक-दूसरे के धर्म की इज्जत करते हैं।
हमारे घर में दोनों धर्मों को माना जाता है, हम ईद और दिवाली और अन्य सभी त्योहार मनाते हैं। हमारे घर में हिंदू देवताओं और कुरान शरीफ का स्थान एक ही है।
जिंदगी में बहुत जरूरी है कि आप अपने कंफर्ट जोन से बाहर आएं। तभी जिंदगी और भी हसीन लगती है। सोनम, सुक्रीत के साथ अपने कंफर्ट जोन से बाहर आईं। धीरे-धीरे दोनों की दोस्ती बढ़ी और दोनों ने बातों को और वर्कआउट को ही अपनी रिलेशनशिप का जरिया बना लिया। सुक्रीत और सोनम का मानना है कि वे लोग धार्मिक नहीं हैं। वो सभी त्योहार सेलिब्रेट करते हैं, क्योंकि उन्हें बस मस्ती करनी होती है। सभी उनके साथ हैं और वो अपनी जिंदगी हंसी-खुशी बिता रहे हैं।
मौमिता और जयान सभी त्योहार साथ में मनाते हैं और इस साल तो मौमिता, जयान के माता-पिता के साथ ईद मनाने भी गई थीं। मौमिता की मां ने भी इस चीज को स्वीकार किया और दूसरे धर्म की इज्जत की। वह खुद भी ईद के नमाज के समय प्रार्थना करने गईं।
मौमिता का कहना है कि समाज का प्रेशर असल में कपल्स को इसलिए आता है, क्योंकि एक तय धारणा बनी हुई है। अगर परिवार वाले पार्टनर से पहले ही मिल लें, तो उन्हें समझ आएगा कि दूसरे धर्म के लोग भी बहुत अलग नहीं हैं, सभी इंसान ही तो हैं।
परिवार और रिश्तेदारों की नाराजगी तो ठीक है, लेकिन महविश कहती हैं कि जिस दिन से उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर शादी की बात जाहिर की है उस दिन से ही उनके स्पैम फोल्डर में लोग गंदी गालियां लिखने लगे हैं और ऐसा रोज होता है। अब दोनों ने मिलकर एक यू-ट्यूब चैनल भी बना लिया है, जिसका नाम है @whatsospecial, उनके पब्लिक पोस्ट में भी लोग उन्हें ट्रोल करते हैं।
महविश अमरनाथ यात्रा पर गई थीं और उस पर भी लोगों ने उन्हें बुरी तरह से ट्रोल किया। महविश कहती हैं कि इससे निपटने का एक ही तरीका है इन्हें इग्नोर करें। महविश कहती हैं, "बुरा लगता है जरूर, लेकिन उन मुट्ठी भर लोगों के चलते हम अपनी जिंदगी को क्यों गलत मानें।"
इस लड़ाई ने मेघा और नावेद के रिश्ते को मजबूत बनाया है। दोनों का @thatcouplefromgoa_ नाम से एक इंस्टाग्राम पेज भी है, लेकिन भला भारत में दो अलग धर्मों के लोग खुश रहें और किसी को कोई आपत्ति ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है। उन्हें भी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ता है। उन्हें धमकियां भी मिलती हैं और "तुम्हारी बॉडी भी फ्रिज में मिलेगी" जैसे भद्दे कमेंट्स भी आते हैं।
इस मामले में मेघना नटराजन अहमद का कहना है, "जब भी मुस्लिम कपल्स की बात होती है, तब बहुत टाइप कास्टिंग हो जाती है। बहुत ज्यादा पोलराइजेशन, इतनी ज्यादा पॉलिटिक्स, लोग पहले से ही अपने मन में धारणाएं बना लेते हैं। मेरी शादी के दिन भी मेरी मां खुश नहीं थीं। हलांकि, अब वह बहुत खुश हैं और उसे बहुत प्यार करती हैं।"
सोनाक्षी सिन्हा-जहीर इकबाल, फरहान अख्तर-शिबानी डांडेकर, सैफ अली खान-करीना कपूर, शाहरुख खान-गौरी खान जैसे हैप्पी कपल्स को भी इसी तरह की ट्रोलिंग का शिकार होने पड़ता है। सोनाक्षी और जहीर की शादी हाल ही में हुई है और लोगों ने ट्रोलिंग के दौरान उनके माता-पिता तक को नहीं छोड़ा। किरण राव और आमिर खान का तलाक हुआ, तब लोगों ने किरण राव के लिए लिखा, “अच्छा हुआ वह कटने से बच गईं।” किरण और आमिर ने शादी के 15 साल बाद तलाक किया, लेकिन इस तरह की ट्रोलिंग आज भी झेलनी पड़ती है।
इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि सामने वाला व्यक्ति सेलेब्रिटी है या एक आम इंसान, ट्रोलर्स के लिए सभी बराबर हैं। महविश का मानना है कि सेलेब्स तो फिर भी एक तरह से सिक्योरिटी बबल में रहते हैं, आम कपल्स को ज्यादा समस्या होती है, क्योंकि उन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में यह सब झेलना पड़ता है।
सन 2000 के बाद से ही मॉरल पोलिसिंग बहुत बढ़ गई है। ऑनर किलिंग, रेप और खाप पंचायत के फैसले इंटरफेथ कपल्स के लिए मुश्किल पैदा कर रहे हैं। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, देश में 5.82% इंटरफेथ कपल्स थे। यह आंकड़ा 2005-2006 में 10% था। अब जनगणना के बाद क्या नतीजा निकलता है, इसके बारे में अंदाजा लगाना मुश्किल है।
"रोमांटिक रिलेशनशिप के बाद इंटरफेथ कपल्स को बहुत सारे चैलेंज झेलने पड़ते हैं। परिवार और समाज ही नहीं कानूनी दांव-पेंच और वकील, जज, पुलिस आदि भी उन्हें परेशान करते हैं। ऐसा होता रहेगा, भले ही कोई भी स्थिति हो। शुक्र है कि प्यार अंधा होता है, वरना ऐसे जोड़े मिल ही नहीं पाते।" ऐसा मानना है आसिफ इकबाल का जो धनक ऑफ ह्यूमैनिटी (Dhanak of Humanity) ऑर्गेनाइजेशन के को-फाउंडर हैं।
यह ऑर्गेनाइजेशन अब तक 6 हजार से ज्यादा इंटरफेथ कपल्स की मदद कर चुकी है और उन्हें लीगल, मेंटल, सोसाइटल हर तरह की मदद देती है। धनक की तरफ से जागरुकता फैलाने की कई मुहिम छेड़ी गई है। आसिफ कहते हैं, "कपल्स को घर से निकाल दिया जाता है, नौकरी में परेशानी होती है, एजुकेशन में परेशानी होती है, कई लोगों को घर में बंदी बना लिया जाता है या जबरदस्ती किसी और से शादी करवा दी जाती है। लोगों पर झूठे चोरी और धर्म परिवर्तन के आरोप लगाए जाते हैं। उन्हें फिजिकल और इमोशनल ट्रॉमा भी झेलना पड़ता है।"
आसिफ ने ऐसे मामले भी देखे हैं जहां माता-पिता बेटियों के सर्टिफिकेट छीन लेते हैं, ओटीपी के जरिए आधार कार्ड से जुड़े सभी काम अपने हिसाब से करवा लेते हैं, ताकि उनके बच्चे को आगे कहीं जॉब या पढ़ाई में भी दिक्कत हो। कुछ गंभीर मामलों में ऑनर किलिंग भी देखी जाती है।
आसिफ ने खुद भी इंटरफेथ मैरिज की थी और उनकी शादी में उन्हें नोएडा के मैरिज ऑफिसर ने परेशान किया था। उस ऑफिसर ने उनकी शादी करवाने से ही मना कर दिया था, जिसके कारण उनकी पत्नी को दिल्ली से उत्तर प्रदेश शिफ्ट होना पड़ा था, ताकि स्पेशल मैरिज एक्ट के जरिए शादी की जा सके।
आसिफ का कहना है कि कानून इंटरफेथ कपल्स के मामले में भेदभाव करता है। एक ही धर्म को मानने वाले जोड़े अपनी धार्मिक शादी के कुछ दिन बाद आराम से अपनी शादी को रजिस्टर करवा सकते हैं। उन्हें शादी का नोटिस देने की जरूरत नहीं होती। हालांकि, ऐसा इंटरफेथ कपल्स के साथ नहीं है। आसिफ का कहना है, "अब वक्त आ गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट को बदला जाए, क्योंकि इसमें ऐसे कुछ नियम हैं जो दो अलग धर्म के लोगों को शादी करने से रोकते हैं।"
नीव फाउंडेशन की प्रो बोनो लॉयर मिशिका सिंह ने स्पेशल मैरिज एक्ट को लेकर कहा, "ऐसा नहीं है कि स्पेशल मैरिज एक्ट सिर्फ इंटरफेथ कपल्स के लिए है। यह एक ही धर्म वाले जोड़ों के लिए भी है। स्पेशल मैरिज एक्ट सेक्युलर तरीका है शादी करने का। इसमें फायदा यह है कि इसके जरिए आप लीगल तरीके से आसानी से शादी कर सकते हैं और नुकसान ये है कि इसमें तीस दिन का नोटिस देना होता है।"
महविश को खुद यह लगता है कि इंटर रिलीजन कपल्स को शादी से पहले ही एक-दूसरे से खुलकर बात करनी चाहिए। बच्चे कौन-सा धर्म फॉलो करेंगे, आप कौन-सा धर्म फॉलो करेंगे, दिन कैसे शुरू होगा, नाम बदलेगा या नहीं बदलेगा आदि सवाल शुरुआत में कड़वाहट भरे लग सकते हैं, लेकिन यह आपकी रिलेशनशिप को आगे बढ़ाएंगे।
"जब आपके ऊपर मुसीबत आती है, तो लोग आपकी हेल्प के लिए नहीं आते। जिस तरह से भारत में हालात बन रहे हैं, एक-दूसरे के प्रति नफरत बढ़ रही है। दोनों परिवार वाले अभी भी हमसे बात नहीं कर रहे हैं। हम इमोशनल-फाइनेंशियल सपोर्ट की उम्मीद किसी से नहीं कर सकते हैं।"
आसिफ इकबाल का कहना है कि कपल्स को अपने परिवार वालों को अपनी शादी के फैसले के बारे में सिर्फ तब ही बताना चाहिए, जब उन्हें यकीन हो कि उनके माता-पिता कोई परेशानी पैदा नहीं करेंगे या हिंसा नहीं चुनेंगे। अगर उन्हें मना पाना बिल्कुल नामुमकिन लग रहा है, तो उन्हें शादी का फैसला तभी लेना चाहिए जब वो फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट हों। किसी एक पार्टनर को दूसरे शहर शिफ्ट हो जाना चाहिए जिससे नौकरी, घर या शिक्षा पर कोई असर ना पड़े। ऐसे में शादी की बात बताने पर इमीडिएट खतरा या हाउस अरेस्ट की संभावना नहीं रहती है।
मेघा मानती हैं कि उनके दोस्तों और लॉयर ने उन्हें काफी सपोर्ट किया। उनके लॉयर ने उन्हें प्रोटेक्शन भी दिलवाई, क्योंकि हालात अभी कुछ ऐसे ही हैं। इसलिए, आपको शादी का फैसला करने से पहले कानूनी मदद सुनिश्चित कर लेनी चाहिए।
मौमिता मजुमदार का कहना है कि धैर्य रखना बहुत जरूरी है और हर जोड़े को अपने हिसाब से ऐसा करना चाहिए। कपल्स को अपने माता-पिता को मनाने की कोशिश भी करनी चाहिए। उन्होंने जिंदगी भर एक तरह की चीजें ही देखी हैं और उनसे आप यह उम्मीद नहीं कर सकते कि एकदम से वे बदल जाएंगे।
महविश कहती हैं , "इंटरफेथ कपल्स को सपोर्ट ना करने का एक कारण है कि समाज बहुत ईगोइस्टिक है। मेरे ससुराल में पूर्व दिशा को शुभ माना जाता है और मायके में पश्चिम में काबा की इबादत की जाती है। हम किसे सही मानें और किसे नहीं? हमारे देश में लोगों को लगता है कि उनकी मान्यताएं ही सही हैं। हम दूसरों के व्यूज को हमेशा गलत ही मानते हैं। हमारे अंदर एक्सेप्टेबिलिटी नहीं होती।"
वह कहती हैं, "लोग मुझसे कहते हैं कि सब कुछ अल्लाह की मर्जी से होता है। मैं उनसे पूछली हूं कि सब कुछ अल्लाह की मर्जी से होता है, तो फिर मेरा किसी हिंदू लड़के को प्यार करना भी तो अल्लाह की मर्जी ही होगी।"
मेघा का मानना है कि जिस तरह के हालात अभी हैं आगे चलकर स्थिति और खराब होने की पूरी संभावना है। लोग इंफ्रास्ट्रक्चर, डेवलपमेंट, बेरोजगारी और नौकरी किसी भी चीज की बात नहीं करते। अब बात होती है, तो सिर्फ धर्म की। मेघा का मानना है कि अगर इंटरफेथ कपल्स को राजनीतिक सपोर्ट मिलता, तो इस समय हालात कुछ और ही होते।
मेघना नजराजन अहमद मानती हैं कि भारत में इंटरफेथ कपल्स के लिए माहौल दिन प्रति दिन खराब होता जा रहा है। "मैं और ज्यादा बेहतर सोसाइटी की कल्पना ही कर सकती हूं। मेरी सलाह तो यही होगी कि आप हिम्मत मत हारिए। हां, आपकी जिंदगी चैलेंजिंग जरूर होगी।"
इतना चैलेंज की जरूरत क्या है? पेंटिंग में बहुत से रंग होते हैं और हम प्यार के रंग को क्यों नहीं देख सकते? आज जब दुनिया भर के नेशनल इशूज हमें परेशान कर रहे हैं। तब हम एक ही चीज को लेकर क्यों अटके हुए हैं? हम क्यों नहीं समझते कि जिंदगी में बहुत-सी चीजों का ध्यान रखना जरूरी है। भारत का संविधान यह कहता है कि हम जिसे चाहे अपना जीवनसाथी चुन सकते हैं, जिस धर्म का पालन करना चाहें कर सकते हैं, लेकिन अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। जीवन बहुत अनमोल है, जिंदगी बहुत खूबसूरत हो सकती है, उसे खूबसूरत ही रहने दिया जाए, तो अच्छा होगा।
जिन कपल्स का जिक्र हमने आज अपनी स्टोरी में किया, वो बहुत ही खुशनसीब हैं कि उन्हें अपने प्यार के साथ जीवन जीने का मौका मिल रहा है। ये जोड़े दुनिया भर की परेशानियां झेलने के बाद भी एक हसीन जिंदगी की कल्पना कर रहे हैं। इनकी सबसे बड़ी ताकत ही है इनका एक साथ होना।
आपको नहीं लगता, प्यार और सम्मान से जीने का हक सभी को एक बराबर मिलना चाहिए?