Vamana Jayanti vrat for women

Vamana Jayanti 2025 Date: कब है वामन जयंति? पंडित जी से जानें महिलाएं कैसे करें भगवान श्री विष्‍णु के 5वें अवतार की विधि से पूजा

वामन जयंती 2025 में भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन देव की पूजा का महत्व जानें। कब है वामन द्वादशी, शुभ मुहूर्त क्या है और महिलाएं कैसे करें विधिपूर्वक पूजा। पंडित जी से जानिए सही पूजन विधि और व्रत के लाभ।
Editorial
Updated:- 2025-09-02, 17:57 IST

हिंदू धर्म में अनेक तीज-त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख पर्व है वामन जयंती। यह दिन भगवान विष्णु के पांचवें अवतार वामन रूप में उनके पृथ्वी पर अवतरण की स्मृति में मनाया जाता है। इसे वामन द्वादशी भी कहा जाता है और विष्णु भक्त इसे बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं।

भगवान वामन, श्री विष्णु का एक दिव्य रूप हैं, जिसमें वे एक बौने ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे। इस पावन अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजन और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। भक्तजन पूरे दिन व्रत रखकर भगवान वामन की पूजा करते हैं। खासकर महिलाओं के लिए यह व्रत अत्यंत फलदायक और पुण्यदायी माना जाता है।

इस पर्व के आध्यात्मिक महत्व को समझने के लिए हमने पंडित सौरभ त्रिपाठी से बातचीत की। वे बताते हैं, "भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयंती मनाई जाती है। इस दिन श्रद्धा भाव से व्रत और पूजा करने से भक्तों को धन, सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है और वे पापों से मुक्त होते हैं। यह पर्व हमें दान, विनम्रता और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।"

कब है वामन जयंती 2025?

पंचांग के अनुसार इस वर्ष 4 सिंतबर को शुक्‍ल पक्ष की द्वादशी तिथि पड़ रही है। इसलिए यह पर्व 4 सितंबर को सुबह 4 बजकर 22 मिनट पर शुरु होकर 6 सितंबर सुबह 4 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। इस पर्व की उदया तिथि 4 तारीख रहेगी इसलिए भक्‍त इसी दिन वामन देव की पूजा और व्रत रख सकते हैं। पंडित जी वामन देव की पूजा के बेहद शुभ मुहूर्त भी बताते हैं-

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Vamana Jayanti 2025 shubh muhurat

वामन जयंती 2025 के शुभ मुहूर्त:

  • प्रातः 10:52 बजे से दोपहर 12:25 बजे तक
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक
  • दोपहर 12:25 बजे से 01:58 बजे तक
  • दोपहर 01:58 बजे से 03:31 बजे तक

पंडित जी कहते हैं, "वामन देव की पूजा के लिए सबसे अच्‍छा मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होता है। शाम के वक्‍त वामन देव की पूजा नहीं की जाती है। हां, आप पूरे दिन फलाहार व्रत रख सकती हैं।"

वामन जयंती पूजन विधि

वामन जयंती के दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। हिन्दू धर्म में यह तिथि अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक वामन भगवान की पूजा करने से जीवन में शुभता, समृद्धि और उन्नति प्राप्त होती है। आइए जानते हैं वामन जयंती की पूजन विधि विस्तारपूर्वक:

  • वामन जयंती के दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पवित्रता और श्रद्धा के साथ व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय भगवान वामन का ध्यान करें और अपने व्रत का उद्देश्य मन ही मन दोहराएं।
  • घर के मंदिर या किसी शुद्ध स्थान को साफ करें और वहां भगवान वामन की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। यदि संभव हो तो पीले वस्त्र और आभूषणों से भगवान का श्रृंगार करें, क्योंकि पीला रंग भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है।
  • भगवान वामन को चंदन, अक्षत, पीले पुष्प और तुलसीदल अर्पित करें। यह सभी सामग्रियां विष्णु पूजा में अनिवार्य मानी जाती हैं। इसके साथ ही नारियल, केला, पंचमेवा आदि भी अर्पण किए जा सकते हैं।
  • “ॐ वामनाय नमः” मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करें। इससे मानसिक शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके बाद धूप और दीप जलाकर भगवान की आरती करें। आरती के दौरान भक्तिभाव से भगवान का गुणगान करें।
  • पूजन के उपरांत वामन अवतार की पौराणिक कथा पढ़ें। इस कथा में बताया गया है कि किस प्रकार वामन रूप में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग भूमि मांगकर उसका दानशीलता और अहंकार दोनों का परीक्षण किया। कथा सुनने से भक्त को धर्म, त्याग और विनम्रता का पाठ मिलता है।
  • वामन जयंती पर ब्राह्मणों, गायों और जरूरतमंदों को दान देने की परंपरा है। अन्न, वस्त्र, फल, दक्षिणा या कोई भी आवश्यक वस्तु दान की जा सकती है। यह कार्य सुबह या पूजा के बाद दोपहर में किया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन दिया गया दान कई गुना फल प्रदान करता है।
  • इस दिन दिनभर उपवास या फलाहार कर सकते हैं। संयमित आचरण, सत्य बोलना, क्रोध न करना और मन को स्थिर रखना भी व्रत का हिस्सा है। इससे वातावरण पवित्र होता है और भक्त का मन ईश्वर की ओर एकाग्र होता है।

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महिलाओं से जुड़े तथ्य

  • विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत करती हैं तो उन्हें पति की दीर्घायु और दांपत्य सुख प्राप्त होता है।
  • अविवाहित कन्याओं को वामन जयंती का व्रत करने से योग्य जीवनसाथी का वरदान मिलता है।
  • पीले वस्त्र धारण कर व्रत करने से स्त्रियों का सौभाग्य और सुख-समृद्धि बढ़ती है।
  • तुलसी दल चढ़ाने से महिलाओं को विशेष मंगलकारी फल प्राप्त होता है।

वामन जयंती केवल भगवान विष्णु के अवतार का उत्सव ही नहीं, बल्कि जीवन में धर्म, दान और नम्रता के महत्व को भी दर्शाती है। यह जानकारी आपको पसंद आई हो तो इस लेख को शेयर और लाइक करें इसी तरह और भी आर्टिकल्‍स पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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