भोलेनाथ के त्रिपुंड की रेखाओं का अर्थ यहां जानें


Jyoti Shah
29-07-2024, 09:30 IST
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    हिंदू धर्म में पूजा के दौरान माथे पर तिलक लगाने का विशेष महत्व होता है। ऐसे में आपने शिव भक्तों को उनकी पूजा में माथे पर तिलक लगाते हुए देखो होगा, जिसे त्रिपुंड कहा जाता है। आज हम आपको भगवान शिव के इसी त्रिपुंड की रेखाओं का अर्थ बताने जा रहे हैं। आइए जानें-

तीन रखाओं वाला त्रिपुंड

    माथे पर बनी तीन रेखाओं वाले तिलक को त्रिपुंड नाम से जाना जाता है। इसे चंदन या भस्म की मदद से लगाते हैं। साथ ही, त्रिपुंड में कई देवी-देवताओं की शक्तियां समाहित होती हैं।

प्रत्येक रेखा में 9 देवताओं का वास

    माना जाता है कि त्रिपुंड की प्रत्येक रेखा में 9 देवताओं का वास होता है। इसकी पहली रेखा में महादेव, धर्म, गार्हपत्य, पृथ्वी, ऋग्वेद, रजोगुण, आकार, प्रात: कालीन हवन और क्रियाशक्ति देव होते हैं।

दूसरी रेखा

    त्रिपुंड की दूसरी रेखा में  ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा और महेश्वर जी का वास होता है।

तीसरी रेखा

    तिलक की तीसरी रेखा में शिव जी, मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, ज्ञानशक्ति, द्युलोक, तृतीयसवन और सामवेद विराजमान होते हैं।

कैसे लगाएं त्रिपुंड?

    इस तिलक को चंदन, लाल चंदन या अष्टगंध से लगाना चाहिए। त्रिपुंड को मध्य की तीन उंगलियों से लगाएं। इसे बाएं नेत्र से दाएं नेत्र की ओर लगाना चाहिए।

भस्म का तिलक

    माना जाता है कि सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाई गई भस्म का त्रिपुंड लगाना बहुत फलदायी होता है। इससे महावेद जल्दी प्रसन्न होते हैं।

27 देवताओं का आशीर्वाद

    मान्यता है कि माथे पर सही तरीके से त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति को समस्त 27 देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है। साथ ही, इससे मानसिक शांति मिलती है।

    माथे पर त्रिपुंड लगाना बहुत फलदायी माना जाता है। स्टोरी अच्छी लगी हो, तो शेयर करें। इस तरह की अन्य जानकारी के लिए क्लिक करें herzindagi.com पर।