शाही स्नान खास क्यों होता है?


Pragati Pandey
24-12-2024, 11:44 IST
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    महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में होने वाला है। दुनियाभर के लोग कुंभ नगरी प्रयाग में इस बड़े मेले में शामिल होने आते हैं। ऐसे में  आज हम आपको महाकुंभ में होने वाले शाही स्नान के बारे में बताएंगे कि यह खास क्यों होता है।

कुंभ नगरी प्रयागराज 

    12 साल के बाद कुंभ नगरी प्रयागराज में एक बार फिर महाकुंभ लगने वाला है। इस महापर्व में दुनियाभर के तमाम लोग शिरकत करते हैं।

 महाकुंभ 2025

    ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ में संगम की रेती पर स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धूल जाते हैं और उसके जीवन के कष्ट भी कम हो जाते हैं।

 महाकुंभ 2025 का महत्व

    महाकुंभ का यह महापर्व 13 जनवरी 2025 से शुरू होकर 26 फरवरी 2025 तक चलेगा। दुनियाभर के साधु-संत और नागा साधु इस पर्व में बड़े हर्षोल्लास के साथ भाग लेते हैं।

शाही स्नान क्या होता है?

    कुंभ हो या महाकुंभ इन बड़े आयोजनो में शाही स्नान जरूर होता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि इसका क्या महत्व होता है?

शाही स्नान की तारीख

    सबसे पहले आपको महाकुंभ 2025 में शाही स्नान की तारीख बता देते हैं। पहला शाही स्नान 14 जनवरी याना मकर संक्रांति को, दूसरा 29 जनवरी मौनी अमावस्या, तीसरा बसंत पंचमी 3 फरवरी, चौथा माघ पूर्णिमा 13 फरवरी, चौथा और आखिरी शाही स्नान महाशिवरात्रि 26 फरवरी को संपन्न होगा।

शाही स्नान कौन करता है?

     हिंदू धर्म में कुंभ और महाकुंभ का विशेष महत्व होता है। इन आयोजनों में शाही स्नान होता है, जिसमें केवल साधु-संत और नागा साधु ही स्नान करते हैं। इसलिए इसे शाही स्नान कहते हैं।

शाही स्नान एक परंपरा

    शाही स्नान कुंभ और महाकुंभ स्नान की एक प्राचीन परंपरा है, जिसमें दुनियाभर के साधु-संत और नागा साधु प्रात: त्रिवेणी संगम पर स्नान करते हैं।

महाकुंभ 2025 कब शुरू होगा?

    शाही स्नान के बाद से ही स्नान शुरू हो जाता है। उसके बाद से आम जनमानस भी संगम के पवित्र धारा में स्नान करता है।

    शाही स्नान महाकुंभ की एक प्राचीन परंपरा है। खबर पसंद आई हो, तो शेयर करें। ऐसी ही अन्य खबरों के लिए herzindagi.com से जुड़े रहें।

Image Credit : meta ai, herzindagi.com