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men wear saree and perform garba

Shardiya Navratri 2023: ऐसी जगह जहां Navratri में पुरुष भी साड़ी पहनकर खेलते हैं गरबा, निभाई जाती है 200 साल पुरानी अनोखी परंपरा

एक ऐसी जगह है जहां सिर्फ पुरुष ही दुपट्टा, साड़ी और लहंगा पहनकर गरबा खेल रहे हैं। 
Editorial
Updated:- 2023-10-13, 10:02 IST

शारदीय नवरात्रि का पर्व 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहा है। माता के इस नौ दिनों के पर्व में भक्त विधि-विधान से उनकी आराधना करते हैं। देशभर में माता के इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, नवरात्रि में लोग गरबा-डांडिया खेलते हैं, माता के दर्शन के लिए मंदिरों में जाते हैं।

हर जगह माता के इस पर्व को अलग-अलग ढंग से मनाया जाता है। कुछ अनोखे रीति-रिवाज और परंपराएं नवरात्रि उत्सव में देखने को मिलते हैं। ऐसे ही एक ऐसी जगह है, जहां पुरुष साड़ी पहनकर नवरात्रि का पर्व बनाते हैं।

कहां पहनते हैं नवरात्रि के दौरान साड़ी?

gujarat men in saree

गुजरात के अहमदाबाद में बड़ौत समुदाय के पुरुष नवरात्रि के दौरान साड़ी पहनते हैं और गरबा खेलते हैं। इस समारोह में पुरुष बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। गुजरात के वडोदरा में स्थित अंबा माता मंदिर में पुरुष साड़ी पहनकर गरबा खेलने आते हैं। (यहां हैं देवी के प्रसिद्ध मंदिर)

जब पुरुष गरबा खेल रहे होते हैं, तब उसी समय कुछ महिलाएं बैठ कर गीत गाती हैं। इस दृश्य को देखने के लिए लोग दूर-दूर से मंदिरों में आते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि अम्बाजी माता मंदिर प्राचीन और प्रमुख धार्मिक स्थलों में से जाना जाता है। यह मंदिर देवी दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में शामिल है।

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शेरी गरबा प्रथा

गुजरात के अहमदाबाद में चल रही इस परंपरा को शेरी गरबा कहा जाता है। बड़ौत समुदाय के लोग नवरात्रि (Navratri 2023) की अष्टमी तिथि की रात को साड़ी पहनकर गरबा करते हैं। यहां पुरुष 200 साल पुरानी परंपरा का पालन कर रहे हैं।  (वैष्णो देवी माता की रहस्यमयी कहानियां)

यहां रहने वाले लोगों का मानना है कि करीब 200 साल पहले सदुबा नाम की एक महिला ने बड़ौत समुदाय के पुरुषों को श्राप दिया था, इसलिए माता को नवरात्रि में प्रसन्न करने के लिए प्रथा की पालना की जाती है और पुरुषों द्वारा इसके लिए माफ़ी भी मांगी जाती है।

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इसके साथ ही यह भी माना जाता है कि प्राचीन समय में लोग महिलाओं के लिए देर रात गर्भावस्था में गरबा खेलना सुरक्षित नहीं समझते थे। तब पुरुषों ने महिलाओं की जगह उनका भेष धारण करके गरबा खेलना शुरू कर दिया।

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