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Sharad Purnima Kheer Muhurat 2025:  शरद पूर्णिमा के दिन कब रखें चांद के नीचे खीर ? जानिए चांद निकलने का समय और पूजा का शुभ मुहूर्त

Sharad Purnima Moon Rise Time 2025: शरद पूर्णिमा 2025 इस साल 6 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। जानिए इस दिन चंद्रमा के निकलने का समय, पूजा का शुभ मुहूर्त और इसका धार्मिक महत्व। कहते हैं कि इस रात चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और उसकी किरणों से अमृत बरसता है। देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए जानें शरद पूर्णिमा की पूजा विधि और चंद्र दर्शन का सही समय।
Editorial
Updated:- 2025-10-06, 20:37 IST

हिंदू धर्म में चंद्रमा का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व माना गया है। कहा जाता है कि चंद्रमा मन, भावनाओं और शांति का प्रतीक है। साल भर में कुछ खास तिथियां ऐसी होती हैं जब चंद्रमा का प्रभाव और भी प्रबल हो जाता है, जिनमें शरद पूर्णिमा का दिन प्रमुख है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों में अमृत तुल्य शक्ति मानी जाती है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने का उत्तम समय होता है। इसीलिए इस दिन चंद्रमा की पूजा करने और उसे अर्घ्य देने की परंपरा है।

पंडित सौरभ त्रिपाठी के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा का उदय एक विशेष मुहूर्त पर होता है और इसी समय चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसने की मान्यता है। लोग इस अमृत को पाने के लिए चंद्रमा की रोशनी में दूध या खीर रखते हैं। वहीं, धार्मिक कथाओं के अनुसार, इसी रात भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की दिव्य रासलीला भी होती है। इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का पर्व केवल चंद्र दर्शन का नहीं, बल्कि समृद्धि, प्रेम और शांति की ऊर्जा को आत्मसात करने का भी प्रतीक है।

शरद पूर्णिमा के दिन कब रखें चंद्रमा के नीचे खीर? (Sharad Purnima Kheer Muhurat 2025)

मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर अमृत का रूप ले लेती है और उसे खाने से शरीर और मन दोनों को शुद्धता व शांति मिलती है।

  • खीर में अमृत गिरने का समय: शाम 9:30 बजे से रात 12:30 बजे

शरद पूर्णिमा 2025 चंद्रमा उदय का समय:

  • तारीख: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार
  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: दोपहर 12:23 बजे (6 अक्टूबर)
  • पूर्णिमा तिथि समाप्ति: सुबह 9:16 बजे (7 अक्टूबर)
  • चंद्रमा उदय का समय: लगभग शाम 5:33 बजे

चंद्रमा पूजन का शुभ मुहूर्त

  • रात्रि का सर्वोत्तम समय (निशिता काल): रात 11:46 बजे से 12:34 बजे तक
  • इस समय चंद्रमा की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

शरद पूर्णिमा के दिन कब निकलेगा चंद्रमा ?

शरद पूर्णिमा का पर्व इस बार 6 अक्टूबर 2025 (सोमवार) को मनाया जाएगा। यह रात हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत शुभ और चमत्कारी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी पूर्ण सोलह कलाओं के साथ आकाश में उदित होता है और उसकी किरणों में अमृत तत्व होता है। भक्त इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करते हैं और खीर बनाकर चांदनी में रखते हैं।

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शरद पूर्णिमा की खास बातें:

  • एसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन से ही ठंडियों की शुरुआत होती है। इस दिन से भारत में शरद ऋतु का आगाज हो जाता है।
  • मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से शरीर और मन दोनों को शीतलता और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। यदि आपको किसी भी प्रकार की मानसिक या शारीरिक पीड़ा है, तो वह शरद ऋतु में चंद्रमा की किरणों की नीचे बैठने पर दूर हो जाती है।
  • लोग इस दिन खीर बनाकर खुले आकाश के नीचे रखते हैं ताकि चंद्रमा की किरणों का स्पर्श उसे अमृतमयी बना दे। इस खीर को चंद्रमा को प्रसाद समझकर खाया जाता है और इससे मन शांत होता है।
  • कई स्थानों पर कोजागरी व्रत भी रखा जाता है, जिसमें माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और रातभर जागरण किया जाता है। इससे माता लक्ष्‍मी प्रसन्‍न होकर भक्‍त की आर्थिक परेशानी को दूर करती हैं।
  • यह दिन प्रेम, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से शुभ माना गया है। ऐसी मान्‍यता है कि इस दिन भगवान श्री कृष्‍ण अपनी प्रिय राधा रानी के साथ वन में रास खेलते हैं। इस दिन रास खेलते राधाकृष्‍ण की पूजा करने से जवीनसाथ के साथ संबंधों में मधुरता आती है।

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अत: शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र देव की पूजा अवश्‍य करें। साथ ही उन्‍हें जल एवं खीर अर्पित करें। साथ ही आपको इस दिन देवी लक्ष्‍मी और राधाकृष्‍ण की पूजा करनी चाहिए। यह जानकारी आपको अच्‍छी लगी हो तो इस लेख को शेयर और लाइक जरूर करें। इसी तरह और भी धार्मिक लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।

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FAQ
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा कब निकलेगा?
इस दिन चंद्रमा का उदय लगभग शाम 5:33 बजे होगा।
चंद्रमा पूजन का शुभ मुहूर्त क्या है?
निशिता काल में यानी रात 11:46 बजे से 12:34 बजे तक चंद्रमा की पूजा करना सबसे शुभ माना गया है।
शरद पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा क्यों की जाती है?
कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा अपनी सोलहों कलाओं से पूर्ण होता है और उसकी किरणों में अमृत तत्व होता है। इस अमृत का सेवन करने से शरीर और मन दोनों को शुद्धि और शांति मिलती है।
क्या शरद पूर्णिमा की रात रासलीला का भी महत्व है?
हाँ, धार्मिक मान्यता है कि इसी रात भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की दिव्य रासलीला वृंदावन में हुई थी।
शरद पूर्णिमा के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
इस दिन क्रोध, झूठ, नकारात्मक विचार और वाद-विवाद से बचना चाहिए। रात को देर तक जागकर ध्यान या भजन करना अत्यंत शुभ होता है।
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