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About Meghnad in Hindi: क्या थे वो 2 वरदान? जिसकी वजह से मेघनाद को हराना नहीं था आसान

About Meghnad in Hindi: रावण के ज्येष्ठ पुत्र मेघनाद जिसे इंद्रजीत भी कहते हैं। वह सबसे शक्तिशाली और पराक्रमी योद्धा में से एक था। यही वजह है कि उसे ब्रह्मा जी से 2 ऐसे वरदान मिले थे, जिससे उसका वध करना अत्यंत कठिन था। आर्टिकल में जानते हैं उन 2 वरदान के बारे में जो उसे प्राप्त हुए थे।
Editorial
Updated:- 2025-10-01, 11:19 IST

रामायण में जब भी रावण के ज्येष्ठ पुत्र मेघनाद जिसे हम इंद्रजीत के नाम से भी जानते हैं, वर्णन आता है, तो सिर्फ यह बताया जाता है कि वह रावण के सबसे शक्तिशाली और पराक्रमी पुत्र में से एक था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि मेघनाद ने अपनी तपस्या से ब्रह्मा जी को खुश करके दो ऐसे वरदान पाए थे, जिसकी वजह से उसे मारना असंभव था। साथ ही उसके साथ हर कोई युद्ध भी नहीं लड़ सकता था। आइए, इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं, उन 2 वरदानों से जुड़ी अहम जानकारी.

मेघनाद को पहला वरदान कौन सा मिला था?

रामायण की कथा के अनुसार, मेघनाद बुद्धिमानी योद्धा था। इसी वजह से उसने कठोर तपस्या करके ब्रह्मा जी को प्रसन्न किया था। ऐसे में ब्रह्मा जी ने प्रसन्न होकर उसे एक ऐसी शक्ति दी, जिसकी वजह से उसे युद्ध में हराना असंभव था। ब्रह्मा जी के दिए हुए वरदान के अनुसार, मेघनाद को युद्ध से पहले निकुंभला यज्ञ की शक्ति दी गई थी। यह यज्ञ करने से वह हमेशा अजेय रहेगा। ऐसा ब्रह्मा जी ने वरदान दिया था। इसलिए वह जब भी युद्ध के मैदान में उतरता था, तो वह इस यज्ञ को जरूर करता था, ताकि उसे हराया न जा सके। इस वरदान की वजह से वह और ज्यादा ताकतवर हो गया था।

Meghnath

मेघनाद को ब्रह्मा जी से कौन सा दूसरा वरदान प्राप्त हुआ था?

मेघनाद को ब्रह्मा जी द्वारा मिला दूसरा वरदान और भी अद्भुत था। मेघनाद को ब्रह्मा से यह वरदान मिला था कि उसका वध केवल वही योद्धा कर सकता है, जिसने 14 सालों तक नींद का त्याग किया हो। साथ ही जिसने अपनी पत्नी का मुख 14 वर्षों तक नहीं देखा हो। ऐसे में यह शर्त सिर्फ लक्ष्मण जी पर लागू होती थी। इसी वजह से भगवान श्रीराम मेघनाथ का वध नहीं कर पाएं और लक्ष्मण जी ने मेघनाद वध किया।

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मेघनाद का वध कैसे हुआ?

  • जब मेघनाद निकुंभला यज्ञ कर रहा था, तब लक्ष्मण ने उसे बीच में बाधित किया।
  • यज्ञ अधूरा रह गया और मेघनाद अपनी अजेय शक्ति से वंचित हो गया।
  • इसके बाद युद्ध में लक्ष्मण ने मेघनाद को पराजित करके उसका वध कर दिया।

Meghnath vadh

 

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मेघनाद रामायण का ऐसा योद्धा था, जिसके पास शक्ति, रणनीति और वरदान सब कुछ था। इसलिए मेघनाद का जब भी नाम आता है, तो रावण के सबसे शक्तिशाली और पराक्रमी पुत्र में उनका वर्णन सबसे पहले होता है।

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Image Credit- Freepik

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