
नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा के भयानक स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां का यह रूप अंधकार और अज्ञानता का नाश करने वाला माना जाता है। उनका स्वरूप देखने में बहुत रौद्र है, उनके बाल बिखरे हुए हैं, गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है और वह गधे पर सवार रहती हैं। उनकी चार भुजाएं हैं और वे त्रिशूल, तलवार और वज्र धारण करती हैं। मां का रंग काला है और उनकी आंखें अग्नि के समान लाल दिखाई देती हैं। उनका यह उग्र रूप भक्तों के जीवन से हर प्रकार के भय और नकारात्मक ऊर्जा को हमेशा के लिए दूर कर देता है।
मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह शक्ति सभी तरह के राक्षसों, भूत-प्रेतों और बुरी शक्तियों का नाश करती है। इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है शुभ करने वाली। मां की आराधना से व्यक्ति को रोगों और संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्थिरता आती है। उनकी पूजा से मन के सभी डर समाप्त हो जाते हैं और भक्त को आत्मविश्वास और साहस की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि की कृपा से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसका जीवन सुखमय बनता है।
ऐसे में वृंदावन के ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि मां कालरात्रि की पूजा विधि क्या है एवं कौन सी सामग्रियों का इस्तेमाल मां की पूजा में किया जाता है।
मां कालरात्रि की पूजा सामग्री भय और नकारात्मकता को दूर करने के लिए इस्तेमाल होती है, जो भक्त को साहस और शुभ फल प्रदान करती है।

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नवरात्रि के सातवें दिन, मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां का स्वरूप भले ही डरावना हो, लेकिन ये अपने भक्तों के लिए हमेशा शुभ फल देने वाली होती हैं, इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है।
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ लाल रंग के कपड़े पहनें (लाल रंग मां को प्रिय है)। इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें। हाथ में जल, फूल और अक्षत (चावल) लेकर मां कालरात्रि की पूजा का संकल्प लें। यह संकल्प आपकी पूजा के उद्देश्य और व्रत के नियम को दर्शाता है।
कलश और अन्य स्थापित देवी-देवताओं की सामान्य पूजा करें। अब मां कालरात्रि की प्रतिमा या चित्र को एक चौकी पर लाल आसन देकर स्थापित करें। इसके बाद, मां को जल अर्पित करें। फिर उन्हें सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, धूप और दीप अर्पित करें। मां कालरात्रि को गुड़हल का लाल फूल और लाल रंग की चुनरी विशेष रूप से चढ़ाएं।

मां कालरात्रि को गुड़ का भोग लगाना सबसे शुभ माना जाता है। आप गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगा सकते हैं। भोग लगाने के बाद, मां के मंत्रों का जाप करें। आप उनके बीज मंत्र 'ॐ कालरात्र्यै नम:' या दुर्गा सप्तशती के मंत्रों का जाप कर सकते हैं। मंत्र जाप से मन की नकारात्मकता दूर होती है और साहस मिलता है।
मंत्र जाप के बाद, मां कालरात्रि की कथा पढ़ें या सुनें। कथा सुनने से पूजा का पूरा फल मिलता है। अंत में, कपूर या घी के दीपक से मां कालरात्रि की आरती करें। आरती के बाद हाथ जोड़कर अपनी सभी मनोकामनाएं मां के सामने रखें और पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें। पूजा पूरी होने के बाद, गुड़ का प्रसाद सबसे पहले ब्राह्मण को दान करें और फिर सभी लोगों में बाँट दें। यह पूजा आपके सभी भय, शत्रु और संकटों को दूर करने में सहायक होती है।
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मां कालरात्रि का सबसे सरल और प्रचलित मंत्र उनका बीज मंत्र है 'कालरात्र्यैनमः' यह मंत्र सीधे मां कालरात्रि को प्रणाम करता है और उनका आह्वान करता है। इसे जपना सबसे आसान है और यह तुरंत सकारात्मक ऊर्जा देता है। इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के मन से डर दूर होता है और वह आत्मविश्वास महसूस करता है।
यह मंत्र मां के उग्र स्वरूप के साथ ही उनके शुभंकरी स्वभाव का भी वर्णन करता है। इसका जाप करने से भक्तों को शुभ फल मिलते हैं और उनकी सभी बाधाएं दूर होती हैं 'यादेवीसर्वभूतेषुमांकालरात्रिरूपेणसंस्थिता। नमस्तस्यैनमस्तस्यैनमस्तस्यैनमोनमः॥' यह मंत्र मां के उग्र स्वरूप के साथ ही उनके शुभंकरी स्वभाव का भी वर्णन करता है। इसका जाप करने से भक्तों को शुभ फल मिलते हैं और उनकी सभी बाधाएं दूर होती हैं।
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