khatu shyam importance

Khatu Shyam Jayanti: रींगस से निशान यात्रा का महत्व क्या है? जानें क्यों 17-18 किमी पैदल चलकर जाते हैं भक्त

जब प्रसिद्ध मंदिरों की बात आती है तो उनमें खाटू श्याम बाबा का मंदिर भी जरूर आता है। यह मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जिसमें भगवान श्री कृष्ण के अलावा पांडव भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र की विशेष पूजा होती है। 
Editorial
Updated:- 2025-10-30, 17:30 IST

खाटू श्याम मंदिर राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है। ऐसे में वहां रोज काफी बड़ी संख्या में भक्त उनके दर्शन करने आते हैं। कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने साथ ध्वज लेकर जाते हैं। उस ध्वज को निशान कहा जाता है। श्रद्धालु रींगस से उस ध्वज यानी निशान को उठाते हैं और बाबा के चरणों में अर्पित करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह ध्वज क्यों अर्पित किया जाता है और इसके पीछे क्या महत्व है। अगर नहीं, तो आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। आज हम आपको अपने इस लेख के माध्यम से बताएंगे कि बाबा के चरणों में ध्वज को क्यों अर्पित किया जाता है। पढ़ते हैं आगे... 

आखिर क्यों अर्पित किया जाता है निशान?

बता दें कि हिंदू धर्म में झंडा यानी ध्वज को विजय का प्रतीक मानते हैं। ऐसे में खाटू श्याम को इस ध्वज अर्पित करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। भक्तजन निशान को उठाकर तकरीबन 17 से 18 किलोमीटर पैदल चलते हैं।

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मान्यता यह भी ह कि इस निशान को बीच रास्ते में नहीं रखा जाता है और इसे सीधे हाथ से ही पकड़ा जाता है। यदि किसी व्यक्ति को शौच आदि जाना है तो वह अपने निशान को किसी अन्य व्यक्ति को देकर जाएगा। पर इसे नीचे नहीं रखा जा सकता।

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कहते हैं कि महाभारत के युद्ध के दौरान बाबा श्याम के बलिदान और दान को याद किया जाता है। ऐसे में यह निशान बाबा को चढ़ाया जाता है और इसे बलिदान और दान दोनों का प्रतीक मानते हैं। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के कहने पर धर्म की जीत के लिए बाबा खाटू श्याम ने अपने शीश को समर्पित किया था। 

कैसा दिखता है निशान?

बता दें जो बाबा पर निशान अर्पित होता है उसका रंग केसरिया, नारंगी या लाल रंग का होता है हालांकि पीले और गुलाबी रंग के भी निशान वहां मिलते हैं। उस पर मोर पंख की छवि होती है।

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कुछ पर बाबा श्याम की छवि दिखाई पड़ती है तो कुछ पर भगवान श्री कृष्ण का चित्र बना होता है। मान्यता है कि यदि आपको अपनी कोई इच्छा पूरी करनी है तो उस निशान को उठाकर नंगे पैर रींगस से खाटू श्याम तक चलकर जाते हैं। वहीं अगर उस इच्छा को मन में रखा जाए तो वह इच्छा जल्दी पूरी होती है। जब वह इच्छा पूरी हो जाती है तो उसके बाद फिर से निशान उठाया जाता है और बाबा को अर्पित किया जाता है।

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