
चैत्र नवरात्रि 30 मार्च 2025 से शुरू हो रही है। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व अत्यधिक महत्व रखता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस पवित्र पर्व में देवी दुर्गा की सच्चे मन से पूजा और अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार नवरात्रि 8 दिनों की होगी, क्योंकि तिथियों में बदलाव के कारण अष्टमी और नवमी तिथि एक ही दिन पड़ी है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि कब है, पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन का महत्व क्या है।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 4 अप्रैल, शुक्रवार के दिन रात 8 बजकर 12 मिनट पर मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 5 अप्रैल, शनिवार के दिन शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, चैत्र दुर्गा अष्टमी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा।
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चैत्र दुर्गा अष्टमी यानी कि 5 अप्रैल के दिन पुनर्वसु नक्षत्र का निर्माण हो रहा है जो सुबह 5 बजकर 20 मिनट से अगले दिन यानी कि 6 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा, ज्योतिष गणना के अनुसार चैत्र दुर्गा अष्टमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है।
5 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 20 मिनट से सुबह 6 बजकर 19 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। चैत्र दुर्गा अष्टमी के दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर होगा और सूर्यास्त का समय शाम 6 बजकर 40 मिनट है। ऐसे में चैत्र दुर्गा अष्टमी के दिन दान के लिए सर्वार्थ सिद्धि योग उत्तम है।
चैत्र दुर्गा अष्टमी यानी कि 5 अप्रैल के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 42 मिनट से सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 4 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक है। ऐसे में मां महागौरी की पूजा के लिए अभिजीत मुहूर्त सबसे ज्यादा श्रेष्ठ है।
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चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा-आराधना का विधान है। ऐसा माना जाता है कि दुर्गा अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करने से सुख-समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, घर का पारिवारिक क्लेश भी दूर हो जाता है। घर के असद्यों के बीच शांति एवं प्रेम की स्थापना होती है।
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