
30 सितंबर 2025 का पंचांग शारदीय नवरात्रि के कारण बहुत खास है क्योंकि आज दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। आज की तिथि पर मां महागौरी की पूजा का विधान है और आज की तिथि पूरे दिन रहेगी जो किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने या मां का आशीर्वाद लेने के लिए उत्तम मानी जाती है। साथ ही, एमपी, छिंदवाड़ा के ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ त्रिपाठी ने हमें यह भी बताया कि आज के दिन शाम के समय संधि पूजा भी की जाएगी जो अष्टमी और नवमी तिथि का मिलन काल होता है। आज के दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि अष्टमी तिथि पर देवी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
| तिथि | नक्षत्र | दिन/वार | योग | करण |
| अश्विन शुक्ल अष्टमी | पूर्वाषाढ़ा | मंगलवार | शोभन | बव |

| प्रहर | समय |
| सूर्योदय | सुबह 06:13 बजे |
| सूर्यास्त | शाम 06:08 बजे |
| चंद्रोदय | दोपहर 12:51 बजे |
| चंद्रास्त | रात 10:55 बजे |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| ब्रह्म मुहूर्त | सुबह 04:37 बजे से 05:25 बजे तक |
| अभिजीत मुहूर्त | सुबह 11:47 बजे से दोपहर 12:35 बजे तक |
| अमृत काल | रात 02:56 बजे से (1 अक्टूबर) सुबह 04:40 बजे तक |
| विजय मुहूर्त | दोपहर 02:11 बजे से दोपहर 02:58 बजे तक |
| गोधूलि मुहूर्त | शाम 06:08 बजे से शाम 06:32 बजे तक |
| मुहूर्त नाम | मुहूर्त समय |
| राहु काल | दोपहर 03:09 बजे से शाम 04:39 बजे तक |
| गुलिक काल | दोपहर 12:11 बजे से दोपहर 01:40 बजे तक |
| यमगंड | सुबह 09:12 बजे से सुबह 10:41 बजे तक |
| दुर्मुहूर्त | दोपहर 12:35 बजे से दोपहर 01:23 बजे तक और दोपहर 02:58 बजे से शाम 03:46 बजे तक |
| दिशा शूल | उत्तर दिशा |

30 सितंबर 2025 का दिन मुख्य रूप से शारदीय नवरात्रि के त्योहार से जुड़ा हुआ है, क्योंकि इस दिन दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। यह दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है, जिन्हें ज्ञान और मोक्ष की देवी माना जाता है। इसी कारण कई जगहों पर इस दिन सरस्वती पूजा भी की जाती है। इस तिथि की एक और बड़ी विशेषता यह है कि यह कन्या पूजन और संधि पूजा का मुख्य दिन होता है, जिसमें भक्त अपनी नवरात्रि की पूजा को पूर्ण करने के लिए कन्याओं को भोजन कराते हैं और अष्टमी व नवमी के मिलन काल में विशेष अनुष्ठान करते हैं।
30 सितंबर 2025 को दुर्गा अष्टमी होने के कारण आप विशेष फल पाने के लिए कुछ आसान उपाय कर सकते हैं। इस दिन माँ महागौरी की पूजा करें और उन्हें सफेद या जामुनी रंग के फूल, विशेष रूप से कमल, अर्पित करें। पूजा के बाद कन्या पूजन अवश्य करें, नौ कन्याओं को भोजन कराकर, उन्हें उपहार दें और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लें। इसके अलावा, संधि काल में मां दुर्गा के लिए 108 दीपक जलाना और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना बहुत शुभ माना जाता है जिससे आपके सभी कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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